Why Not The Chief Minister And Lieutenant Governor…, SC On Appointment Of Officials In Delhi – मुख्यमंत्री और उप-राज्यपाल साथ मिलकर क्यों नहीं…, दिल्ली में मुख्य सचिव की नियुक्ति पर SC

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c5p4n3lg supreme court Why Not The Chief Minister And Lieutenant Governor..., SC On Appointment Of Officials In Delhi - मुख्यमंत्री और उप-राज्यपाल साथ मिलकर क्यों नहीं..., दिल्ली में मुख्य सचिव की नियुक्ति पर SC

28 नवंबर को होगी अगली सुनवाई

सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार को नसीहत देते हुए कहा है कि इस बात का ख्याल रखा जाए कि अफसरों के नाम सोशल मीडिया पर सार्वजनिक ना हों. ऐसा इसलिए भी क्योंकि ये अफसरों के करियर का सवाल है. इतना ही नहीं सुप्रीम कोर्ट ने LG और केंद्र सरकार को सक्षम लोगों के नाम का सुझाव पैनल को देने का निर्देश दिया है. सुप्रीम कोर्ट में मामले की अगली सुनवाई 28 नवंबर को होगी. कोर्ट में सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार ने कहा कि केंद्र सरकार ने दिल्ली के मुख्य सचिव की नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू कर दी है. 

“LG और CM कहने के बाद भी मुलाकात नहीं करते”

सुप्रीम कोर्ट ने इस सुनवाई के दौरान कहा कि यह इस तरह का कोई पहला मामला नहीं है. हमने DREC के चैयरमैन की नियुक्ति के मामले में भी यही कहा था. लेकिन फिर भी कुछ नहीं हुआ. जब हम LG और CM को मुलाक़ात के लिए कहते हैं तो भी यह मुलाकात नहीं करते. कोर्ट ने कहा कि मुख्य सचिव की नियुक्ति को लेकर LG और केंद्र सरकार कुछ नाम पैनल को सुझाएं. पैनल उनमें से किसी नाम को चुने. 

सुनवाई के दौरान उप- राज्यपाल के वकील हरीश साल्वे ने कहा कि पैनल को सुझाये गए नाम किसी मीडिया या सोशल मीडिया पर लीक नहीं होने चाहिए. वर्तमान मुख्य सचिव को अपने मामले में हाईकोर्ट जाना पड़ा है.

“LG और केंद्र सरकार कुछ पैनल को कुछ नाम सुझाए”

बता दें कि दिल्ली सरकार मुख्य सचिव को लेकर पहुंची है सुप्रीम कोर्ट. दिल्ली सरकार ने कहा कि केंद्र सरकार ने दिल्ली के मुख्य सचिव की नियुक्ती की प्रक्रिया शुरू कर दिया है. इसपर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मुख्यमंत्री और उपराज्यपाल इस मुद्दे पर मुलाक़ात क्यों नहीं करते है, हमने DREC के चैयरमैन की नियुक्ति के मामले में भी यही कहा था लेकिन कुछ नहीं हुआ था. जब हम LG और CM को मुलाक़ात के लिए कहते है यह मुलाकात नहीं करते हैं, LG और केंद्र सरकार कुछ पैनल को कुछ नाम सुझाए, और पैनल उसमें से के नाम चुने. 

“केंद्र सरकार दिल्ली सरकार से परामर्श नहीं करती”

दिल्ली सरकार ने अपनी ताजा याचिका में कहा है कि जब अध्यादेश को चुनौती दी गई है तो केंद्र सरकार दिल्ली सरकार से परामर्श किए बिना कैसे आगे बढ़ सकती है और कैसे  नियुक्ति कर सकती है. सुनवाई के दौरान, वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी के साथ-साथ दिल्ली सरकार की ओर से पेश वकील शादान फरासत ने भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ को बताया कि मुख्य सचिव की नियुक्ति पर दिल्ली सरकार से परामर्श किया जाना चाहिए. 

“2023 का संसोधन संविधान पीठ का उल्लघंन”

दिल्ली सरकार ने यह निर्देश भी मांगा है कि उसे AGMUT कैडर में सेवारत पांच वरिष्ठतम अधिकारियों में से एक को मुख्य सचिव के रूप में नियुक्त करने की अनुमति दी जाए, जिनके पास पहले  दिल्ली सरकार में सेवा करने का अपेक्षित अनुभव हो . गौरतलब है कि पिछली सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को याचिका की प्रति केंद्र को सौंपने का निर्देश दिया था. दिल्ली सरकार ने अपनी याचिका में कहा है कि  2023 का संशोधन अधिनियम न केवल 2023 की संविधान पीठ के फैसले का उल्लंघन है, बल्कि मूल रूप से अलोकतांत्रिक भी है, क्योंकि यह अनुच्छेद 239AA के माध्यम से अंतर्निहित संवैधानिक योजना को अपने सिर पर रख देता है. मुख्य सचिव की नियुक्ति का एकमात्र विवेक उपराज्यपाल के हाथों में है. ऐसा करने से, यह स्थाई कार्यकारिणी के सबसे महत्वपूर्ण सदस्य, मुख्य सचिव की नियुक्ति के मामले में  दिल्ली सरकार को मूक दर्शक बना देता है.

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