Supreme Court Relief To Former Mumbai Police Officer Pradeep Sharma In 2006 Fake Encounter Case – मुंबई के पूर्व पुलिस अफसर प्रदीप शर्मा को वर्ष 2006 के फर्जी मुठभेड़ मामले में सुप्रीम कोर्ट से राहत

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मुंबई के पूर्व पुलिस अफसर प्रदीप शर्मा को वर्ष 2006 के फर्जी मुठभेड़ मामले में सुप्रीम कोर्ट से राहत

सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार से मामले में जवाब मांगा है.

नई दिल्ली:

वर्ष 2006 के फर्जी मुठभेड़ मामले में मुंबई के पूर्व पुलिस अफसर प्रदीप शर्मा को सुप्रीम कोर्ट से राहत मिली है. सुप्रीम कोर्ट ने अगले आदेशों तक उन्हें सरेंडर करने से छूट दी है. प्रदीप शर्मा की बॉम्बे हाईकोर्ट के उम्रकैद की सजा के खिलाफ याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार से जवाब मांगा. जस्टिस हृषिकेश रॉय और जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा की पीठ ने शर्मा को अगले आदेश तक अधिकारियों के समक्ष आत्मसमर्पण करने से छूट भी दी है.

बॉम्बे हाईकोर्ट ने 19 मार्च को शर्मा को फर्जी मुठभेड़ मामले में दोषी ठहराया था और आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी. यह मामला छोटा राजन गिरोह के कथित सदस्य रामनारायण गुप्ता उर्फ लाखन भैया की मुठभेड़ में मौत का है. गुप्ता और उनके दोस्त को 11 नवंबर, 2006 को मुंबई के एक उपनगरीय इलाके से उठाया गया था. गुप्ता को उसी दिन  मुठभेड़ में मार दिया गया था. 

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मामला 2009 में दर्ज किया गया था.विशेष जांच दल ने आरोप लगाया कि एक प्रतिद्वंद्वी ने गुप्ता को मारने के लिए पुलिस को पैसे दिए थे. एसआईटी का गठन उच्च न्यायालय के उस आदेश के आधार पर किया गया था, जिसमें एफआईआर दर्ज करने का निर्देश दिया गया था. 5 साल की लंबी सुनवाई के बाद मुंबई की निचली अदालत ने जुलाई 2013 में शर्मा को बरी कर दिया  लेकिन 13 पुलिस कर्मियों सहित 21 लोगों को दोषी ठहराया. तीन पुलिसकर्मियों को हत्या का दोषी ठहराया गया, वहीं शेष 18 को उकसाने का दोषी ठहराया गया. 

राज्य सरकार ने बरी करने के आदेश को उच्च न्यायालय में चुनौती देते हुए दावा किया कि मुठभेड़ फर्जी थी. पुलिस अधिकारियों ने भी अपनी दोषसिद्धि को चुनौती देते हुए अपील दायर की. व्यापक सुनवाई के बाद. उच्च न्यायालय ने अंततः राज्य सरकार की दलीलों में योग्यता पाई और शर्मा को दोषी ठहराया. इसने 12 अन्य पुलिस अधिकारियों और एक नागरिक हितेश सोलंकी की सजा को भी बरकरार रखा.

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