Shradh: बिहार में यहां होता है आत्म श्राद्ध, जीते जी खुद का कर सकते हैं पिंडदान, पंडित से जानें सबकुछ!

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3518335 HYP 0 FEATURE20230925 100031 Shradh: बिहार में यहां होता है आत्म श्राद्ध, जीते जी खुद का कर सकते हैं पिंडदान, पंडित से जानें सबकुछ!

कुंदन कुमार/गया: बिहार के गया स्थित मां मंगला-गौरी मंदिर के परिसर स्थित भगवान जनार्दन मंदिर वह स्थान है, जहां कोई भी जीवित व्यक्ति स्वयं पिंड दान और श्राद्ध कर सकता है. जिस व्यक्ति के पास मृत्यु संस्कार करने वाला कोई नहीं है, वह यहां जीवित रहकर अनुष्ठान कर सकते हैं. भगवान जनार्दन मंदिर गया के भस्म कूट पर्वत के ऊपर मां मंगला गौरी मंदिर के उत्तर में स्थित है. कहा जाता है यहां भगवान विष्णु जनार्दन स्वामी के रूप में पिंड का ग्रहण करते हैं. माना जाता है कि आत्म पिंडदान करने वाले को परलोक में जाने के बाद उसे मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है.

गया जी में वर्तमान में 45 पिंड वेदी है, जबकि 10 से अधिक तर्पण स्थल है. जहां पर पितरों का पिंडदान किया जाता है. लेकिन, पूरे विश्व में जनार्दन मंदिर वेदी एक मात्र ऐसा स्थल है, जहां आत्म श्राद्ध यानि जीते जी खुद का पिंडदान किया जा सकता है. इस मंदिर में वैसे लोग अपना पिंडदान करने पहुंचते हैं, जिनको संतान नहीं हैं. जिनका घर से मन विमुख हो गया हो या उन्हें लगता हो कि उनके मरने के बाद कोई पिंडदान नहीं करेगा. आत्म श्राद्ध के लिए तीन दिवसीय श्राद्ध किया जाता है.

कितने तरह के होते हैं श्राद्ध ?
गया मंत्रालय वैदिक पाठशाला के पंडित राजा आचार्य ने बताया कि गया क्षेत्र अत्यंत प्राचीन जगह है. यहां मरणोपरांत श्राद्ध किया जाता है और जीवित अवस्था में भी पिंड प्रदान करके स्वयं को मरने के बाद मुक्त कर सकते हैं. यहां श्राद्ध के अनेक प्रक्रिया है और अलग-अलग रूप में इसे किया जाता है. गया श्राद्ध, त्रिपिंडी श्राद्ध, नारायण नाग बलि श्राद्ध.

क्यों है संस्कार विहीन?
इसी में एक और विशेष श्राद्ध है वो है आत्म श्राद्ध, जिसमें जीवित व्यक्ति खुद का श्राद्ध कर सकते हैं. उन्होंने बताया कि आत्म श्राद्ध वही कर सकते हैं, जिनके पुत्र-पुत्री जीवित हैं, लेकिन संस्कार विहीन हैं. इसके अलावा नास्तिक हैं और विदेशों में जाकर बस गए हैं. या फिर किसी की कोई संतान नहीं है तो वो नआत्म श्राद्ध कर सकते हैं.

दामाद कब कर सकता है श्राद्ध ?
अगर किसी व्यक्ति के पुत्र नहीं है. सिर्फ पुत्रियां हैं तो ऐसी स्थिति में दामाद को पिंडदान करने को अवसर मिलता है. लेकिन दामाद के माता-पिता जीवित नहीं हो तब उन्हें यह अधिकार मिलता है. अगर दामाद के माता-पिता जीवित हैं तो वह अपने सास-ससुर का श्राद्ध नहीं कर सकेंगे.

इस मंदिर में करें तीन दिनों का आत्म श्राद्ध
पंडित राजा आचार्य ने बताया कि वैसे तो गया जी में महिलाएं भी पिंडदान करती हैं, लेकिन शास्त्रों के अनुसार यह अधिकार पुरूष और ब्राह्मणों को दिया गया है. ऐसी अवस्था में जब मरणोपरांत कोई श्राद्ध नहीं करेगा तो वायु पुराण के अनुसार गया जी में आत्म श्राद्ध के लिए मंगला गौरी मंदिर के समीप स्थित भगवान जनार्दन मंदिर में तीन दिवसीय श्राद्ध कर सकते हैं. प्रथम दिन प्रायश्चित संकल्प होगा. द्वितीय दिन भगवान जनार्दन का अभिषेक और महा पूजा करके दही, चावल मिश्रित पिंड भगवान जनार्दन के हाथ में देना है. तृतीय दिन हवन भगवान गदाधर का पंचामृत महा पूजा अभिषेक करके तीन दिवसीय आत्म श्राद्ध प्रक्रिया पूरी कर सकते हैं. जिससे जीवित अवस्था में सुख-शांति से मरणोपरांत मोक्ष की प्राप्ति हो जाए.

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