Raksha Bandhan 2023 Do You Some People In India Are Not Celebrating Rakhi On 30th And They Will Celebrate After 20 Days

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भाई-बहनों का त्यौहार रक्षाबंधन इस साल 30 और 31 अगस्त को मनाया जाएगा. इस साल भद्रा के कारण रक्षाबंधन का त्योहार 30 अगस्त और 31 अगस्त को मनाया जा रहा है. हालांकि, अभी लोग रक्षाबंधन की की तारीख को लेकर कंफ्यूजन में है कि उन्हें राखी 30 को बांधनी है या फिर 31 अगस्त को. रक्षाबंधन की तारीख को लेकर अलग अलग तर्क दिए जा रहे हैं. ऐसे में कई लोग फेस्टिवल 30 को तो कई लोग 31 तारीख को ये त्यौहार मनाएंगे. लेकिन, कुछ लोग ऐसे हैं, जो ना 30 अगस्त को राखी बांधेंगे और ना ही 31 अगस्त को ये सेलिब्रेट करेंगे. 

ऐसे में जानते हैं कि आखिर ये कौन हैं, जो अभी नहीं बल्कि 20 सितंबर को राखी का पर्व मनाएंगे. तो जानते हैं इसकी क्या कहानी है और किस वजह से ये लोग रक्षाबंधन के 20 दिन बाद राखी का फेस्टिवल सेलिब्रेट करते हैं.   

कब है रक्षाबंधन?

बता दें कि रक्षाबंधन का पर्व इस साल दो दिन मनाया जाएगा. इस वजह से 30 अगस्त को रात 9:01 मिनट के बाद आप इस पर्व को मना सकते हैं, वहीं जो लोग 31 अगस्त के दिन राखी बांधेंगे वो सुबह 5:55 मिनट से  7:05 मिनट तक राखी बांध सकते हैं.

कौन लोग बाद में मनाएंगे राखी?

दरअसल, कई जाति वर्ग के लोग श्रावण की पूर्णिमा को रक्षाबंधन नहीं मनाते हैं और इस दिन बहनें अपने भाइयों को राखी नहीं बांधती हैं. राजस्थान और राजस्थान के बाहर भी कई राज्यों में ऐसी परंपरा है. ये जातियां  श्रावण की पूर्णिमा के स्थान पर ऋषि पंचमी को ये फेस्टिवल सेलिब्रेट करती हैं, जिसे भाई पंचमी भी कहा जाता है. बता दें कि ऋषि पंचमी रक्षाबंधन के 20 दिन बाद आती है और इस दिन लोग राखी मनाते हैं. इस बार 20 सितंबर को ये लोग रक्षाबंधन मनाएंगे. 

दरअसल, ऋषि पंचमी पर पारीक समाज, कायस्थ समाज, माहेश्वरी समाज और दाधीच ब्राह्मण समाज के लोग रक्षाबंधन मनाते हैं. इसके साथ ही सारस्वत, गौड़, गुर्जर गौड़, शिखवाल, डीडू माहेश्वरी, थारी माहेश्वरी, धाटी माहेश्वरी, खंडेलवाल माहेश्वरी ये लोग रक्षाबंधन की तरह ही इस दिन फेस्टिवल को सेलिब्रेट करते हैं. इस दिन राखी बांधने के अलावा भी महिलाएं ऋषि महर्षियों व सप्तऋिषियों की विशेष पूजा करती हैं और व्रत भी रखती हैं. 

क्यों करते हैं ऐसा?

मान्यताओं के हिसाब से कहा जाता है कि पार्वती पुत्र गणेश को उनकी बहन ने ऋषि पंचमी के दिन ही राखी बांधी थी. इसके साथ ही कहा जाता है कि माहेश्वरी समाज के लोग खुद को भगवान शिव के वंशज मानते हैं, जिस वजह से वे इसे फॉलो करते हैं और इस दिन बहनें अपने भाइयों की कलाई में रक्षा सूत्र बांधती है.

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