Problem Again In The Last Phase Of Rescue Operation Going On In Tunnel Of Uttarakhand – उत्तराखंड के टनल में चल रहे रेस्क्यू ऑपरेशन के आखिरी चरण में फिर आई अड़चन, रुका काम

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32qbqql4 uttarakhand tunnel collapse Problem Again In The Last Phase Of Rescue Operation Going On In Tunnel Of Uttarakhand - उत्तराखंड के टनल में चल रहे रेस्क्यू ऑपरेशन के आखिरी चरण में फिर आई अड़चन, रुका काम

नई दिल्‍ली :
Uttarakhand Tunnel Rescue Operation: उत्तरकाशी के टनल में फंसे 41 मजदूरों को बचाने के लिए चलाया जा रहा रेस्क्यू ऑपरेशन अपने आखिरी चरण में है. हालांकि, शुक्रवार शाम को ड्रिलिंग के दौरान मशीन के खराब होने की वजह से ऑपरेशन को रोक दिया गया था. रेस्‍क्‍यू टीम अब मजदूरों को बाहर निकालने के लिए एक नई रणनीति पर भी विचार कर रही है.

मामले से जुड़ी अहम जानकारियां :

  1. टनल में फंसे 41 मजदूरों को बचाने के लिए रेस्क्यू ऑपरेशन में लगे अधिकारियों ने इस ऑपरेशन को लेकर शुक्रवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की. इस कॉन्फ्रेंस में वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि फंसे हुए मजदूरों तक पहुंचने से पहले केवल 10-12 मीटर की ड्रिलिंग बाकी थी, जिससे पुष्टि हुई कि रडार को आगे अगले 5 मीटर तक कोई भी बाधा नहीं दिखा है. 

  2. वे (ग्राउंड पेनेट्रेटिंग एक्सपर्ट की टीम) इसे 100% सटीकता के साथ नहीं कह सकते हैं, लेकिन वे जो उम्मीद कर रहे हैं वह यह है कि अगले 5.4 मीटर में गर्डर, पाइप और धातु प्लेट जैसी कोई निरंतर धातु वस्तु नहीं है. उन्होंने कुछ अन्य बाधाओं की ओर इशारा किया है. 

  3. रेस्‍क्‍यू ऑपरेशन में लगे एक अधिकारी ने बताया कि सिलक्यारा सुरंग का एक हिस्सा ढहने से उसमें फंसे 41 श्रमिकों को बाहर निकालने के लिए हाथ से ड्रिलिंग पर विचार किया जा रहा है.

  4. ड्रिलिंग के दौरान जैसे ही मशीन आगे बढ़ती है, स्टील पाइप के छह-मीटर खंडों को एक साथ वेल्ड किया जाता है और संकीर्ण सुरंग मार्ग में धकेल दिया जाता है. एक बार स्टील शूट लग जाने के बाद, बचावकर्ता नव निर्मित सुरंग के माध्यम से श्रमिकों को सुरक्षित निकालने के लिए पहिएदार स्ट्रेचर का उपयोग करेंगे.

  5. शुक्रवार शाम को बचावकर्मियों ने कहा कि ड्रिल बिट को ड्रिलिंग मशीन द्वारा बनाए गए रास्ते से निकाला जा रहा है. दो दिनों के अंतराल में मिले दो झटकों ने कई दिनों से सुरंग के बाहर डेरा डाले चिंतित रिश्तेदारों को करारा झटका दिया है. हालांकि, लोगों को यकीन है कि जल्‍द ही फंसे हुए लोग बाहर आ जाएंगे. 

  6. रेस्‍क्‍यू का काम रोके जाने से पहले, सुरंग के लगभग 60 मीटर लंबे अनुमानित हिस्‍से में ड्रिल किए गए मार्ग में 800 मिलीमीटर चौड़े स्टील पाइप का 46.8 मीटर हिस्सा डाला गया था. छह इंच चौड़ी ट्यूब, फंसे हुए श्रमिकों को बाहरी दुनिया और भोजन और अन्य आवश्यक चीजों के लिए उनकी जीवन रेखा से जोड़ने वाली एक महत्वपूर्ण धमनी है.

  7. पीटीआई को दिए एक बयान में गढ़वाल रेंज के महानिरीक्षक केएस नागन्याल ने आश्वासन दिया कि बचाए जाने के बाद श्रमिकों को एक समर्पित “ग्रीन कॉरिडोर” के जरिए सुरक्षित पुलिस एस्कॉर्ट के तहत चिकित्सा केंद्रों तक तेजी से पहुंचाने की व्यवस्था की गई है.

  8. राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ) ने साइट पर एक मॉक ड्रिल का आयोजन किया. एनडीआरएफ का एक जवान रस्सी से बंधे एक पहिये वाले स्ट्रेचर को सावधानी से घुमाते हुए संकीर्ण पाइप में ले गया. जवान ने पुष्टि की कि पाइप में पर्याप्त जगह है और सांस लेने में कोई समस्या नहीं है.

  9. सुरंग के प्रवेश द्वार पर 41 एम्बुलेंस स्टैंडबाय पर रखी गई हैं, जो श्रमिकों को चिन्यालीसौड़ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र तक ले जाने के लिए तैयार हैं. 41 ऑक्सीजन से लेस बिस्तरों वाला एक अस्‍थाई वार्ड भी स्थापित किया गया है, जो प्रत्येक कर्मचारी को त्वरित चिकित्सा देखभाल प्रदान करने के लिए तैयार है. अधिकारियों ने कहा कि लगभग दो सप्ताह तक फंसे रहने के बावजूद श्रमिक मानसिक रूप से स्थिर और शारीरिक रूप से स्वस्थ हैं. एक अधिकारी ने कहा, “उन्होंने पर्याप्त कपड़े पहने हुए हैं और जब हम उनसे बात करते हैं, तो वे कहते हैं कि वे खुद ही बाहर चले जाएंगे. उनके पास इस तरह की मानसिक ताकत है.”

  10. उत्तरकाशी से लगभग 30 किमी दूर और देहरादून से सात घंटे की ड्राइव पर स्थित, सिलक्‍यारा सुरंग केंद्र सरकार की चार धाम ऑल वेदर रोड परियोजना का एक अभिन्न अंग है.

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