MP की इस जेल के कैदी-बंदी बने पर्यावरण मित्र, 50 हजार पौधे करेंगे तैयार

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दुर्गेश सिंह राजपूत/ नर्मदापुरम. सेंट्रल जेल के कैदियों और विचाराधीन बंदियों को प्रकृति से जोड़ने का एक अनूठा प्रयास किया गया है. कैदियों के पर्यावरण मित्र बनने के बाद उनकी सोच बदलने लगी है. जेल प्रबंधन के अधिकारियों का कहना है कि बंदी प्रकृति के करीब रह रहे हैं. ऐसे में उनका मन मस्तिष्क में अच्छे विचार आने लगे हैं.

प्रत्येक बंदी करता है 100 पौधे की देखभाल
सेंट्रल जेल के दोनों खंडों में कैदियों-बंदियों को पर्यावरण मित्र बनाया गया है. रोजाना जेल के कैदी पौधे तैयार कर रहे हैं. इस तरह हजारों पौधे तैयार हो गए हैं. इन्हें जेल प्रबंधन सस्ती दरों पर शासकीय कार्यालय, स्वयंसेवी संस्थाओं और आमजन को उपलब्ध कराएगा. केंद्रीय जेल में विश्व योग दिवस से 50,000 पौधे तैयार करने की शुरुआत की गई है. इसके तहत हर बंदी को 100 पौधे तैयार कर उनकी देखभाल कर रहा है.

ये पौधे हो रहे तैयार
रोजाना जेल में आंवला, नीव, सीताफल, मुनगा, बांस, बेल, आम, नींबू, अमरूद के 50,000 पौधे तैयार करने का लक्ष्य रखा गया है. कैदियों और बंदियों द्वारा अभी तक लगभग 35,000 पौधे तैयार हैं. इन शासकीय संस्था और एनजीओ को सस्ती दरों पर बेचा जा रहा है. साथ ही पैरोल पर जाने वाले बंदियों को वृक्षारोपण करने की भी सलाह दी जाती है.

500 बंदियों को बनाया गया पर्यावरण मित्र
केंद्रीय जेल नर्मदापुरम जेल अधीक्षक संतोष सोलंकी ने बताया कि दोनों जेल में 500 बंदियों को पर्यावरण मित्र बनाया गया है. उन्होंने 3 माह में लगभग 50,000 पौधे बनाने का संकल्प लिया है. पर्यावरण मित्र बनने के बाद बंदियों की सोच बहुत बदल गई है. उनके मन में प्रकृति के प्रति प्रेम बड़ा है. यह प्रयास उनके अपराध की दलदल से उन्हें मुक्ति दिलाएगा और प्रकृति से जोड़े रखेगा. सभी बंधुओं द्वारा कई प्रकार के पौधे लगाए गए हैं. इसके साथ ही पर्यावरण को संरक्षित रखने के लिए कैदी बोरी एवं दूध की पन्नी का उपयोग कर उन्हीं में पौधे रोपित करते हैं.

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