Moon Mysterious tremors have been traced back to an unexpected source
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हाइलाइट्स
1970 के दशक में चंद्रमा पर आए भूकंप की जानकारी वहां के यंत्रों ने जुटाई थी.
नए अध्ययन में वैज्ञानिकों ने कुछ झटकों को सामान्य से बहुत ही अलग पाया था.
गहन विश्लेषण में उन्होंने इन झटकों को एक ही लेकिन अजीब स्रोत पाया है.
चंद्रमा पर भूकंप क्यों आते हैं यह ऐसी पहेली है जो आज की नहीं बल्कि दशकों पुरानी है. हाल ही में भारत के चंद्रयान-3 के विक्रम लैंडर ने चंद्रमा पर भूकंप के झटके महसूस किए तो एक फिर यह मुद्दा पुराने भूत की तरह बाहर निकल आया था. इस मामले में फिर से नए अनुसंधान होने लगे हैं और पुराने आंकड़ों को फिर से खंगाला गया. अब अमेरिकी वैज्ञानिकों ने पुराने आंकड़ों का विश्लेषण कर पता लगाया है कि इसकी वजह क्या है. हैरानी की बात है कि उन्होंने जो पाया है वह चंद्रमा के भूकंपों के अब तक समझे जा रहे कारणों से बिलकुल ही अलग है.
कुछ झटकों की वजह
नासा और कैलिफोर्निया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के शोधकर्ताओं ने चंद्रमा पर आए उन भूकंपों का फिर से विश्लेषण किया जिनके बारे में 1970 के दशक में अपोलो 17 अभियान के जरिए जानकारी हासिल की गई थी. उन्होंने पाया कि कुछ झटके तो अपोलो 17 लूनार मॉड्यूल के के कारण ही महसूस किए गए थे.
हर सुबह आते थे भूकंप के झटके
एक प्रेस रिलीज में इस नए अध्ययन के सहलेखक और जियोफिजिक्स के रिसर्च प्रोफेसर एलन हस्कर ने बताया कि जब भी चंद्रमा की हर सुबह लैंडर पर सूर्य की किरणें पड़ती थीं तो वह उछल पड़ता था. अध्ययन में शोधकर्ताओं ने साफ कहा कि चंद्रमा पर किसी तरह के टेक्टोनिक गतिविधि नहीं होती है, लेकिन फिर भी वह कांप रहा था.
भूकंपीय संवेदी यंत्र
उल्लेखनीय है कि 1961 से 1972 तक अपोलो अभियान का काम चंद्रमा पर इंसानों को भेज कर वहां से चंद्रमा की मिट्टी या चट्टानों के नमूने लाना भर नहीं था, बल्कि वहां से चंद्रमा की भूकंपीय गतिविधियों की जानकारी हासिल करना भी था. इसके लिए चंद्रमा पर गए अंतरिक्ष यात्रियों ने अपोलो 11 से 17 तक वहां भूकंपीय संवेदी यंत्र स्थापित कर दिए थे. इन यंत्रों ने 1977 के बाद काम करना बंद कर दिया था.
पृथ्वी से अलग
लेकिन तब से वैज्ञानिक वहां से मिले आंकड़ों का समय समय पर अध्ययन करते रहे हैं. जिससे वहां के भूकंपों के बारे में सही जानकारी मिल सके. इन्हीं आंकड़ों की मदद से वैज्ञानिकों को पहली बार चंद्रमा पर आने वाले भूकंपों की जानकारी मिली थी. यूरोपीय कमिशन के अनुसार चंद्रमा पर पृथ्वी के जैसी किसी तरह की टेक्टोनिक प्लेट की गतिविधि नहीं होती है, इसलिए चंद्रमा पर भूकंप या तो उल्का के टकराव से आते हैं, या पृथ्वी के गुरुत्व के कारण चंद्रमा के आंतरिक हिस्सों में खिचांव या दबाव से पैदा होते हैं या फिर चंद्रमा के दिन और रात के तापमान में बहुत ही ज्यादा अंतर के कारण आते हैं.
अपोलो 17 के आंकड़ों
लेकिन वैज्ञानिक हैरान तब हुए जब उन्होंने अपोलो 17 के आंकड़ों का पुनर्विश्लेषण किया और उसमें कुछ असमान्य सी जानकारी देखी, उन्होंने पाया कि इन भूकंपों का सामान्य तीन कारणों से कोई लेना देना नहीं था. खास बात यह थी के ये झटके पहले कभी अवलोकित नहीं किए गए जबकि आंकड़े अक्टूबर 1976 और मई 1977 के बीच हासिल किए गए थे. शोधकर्ताओं का कहना है कि अपोलो 17 के आंकड़े बहुत जटिल थे और उनका निष्कर्ष निकालना भी कठिन था.
1972 के छोड़े गए लूनार मॉड्यूल से
इन्हें समझने के लिए शोधकर्ताओं ने मशीन लर्निंग के जरिए आंकड़ों की सफाई की और तापीय भूकंपीय आंकड़ों को हटाया जो चंद्रमा पर दोपहर के बाद होते हैं जब चंद्रमा ठंडा होना शुरू होता है. उन्हें केवल सुबह के समय ही अजीब से आकड़े मिले जिसमें तरंगे हर कुछ मिनट में रहस्यमयी स्रोत से निकल कर आ रही थीं. उन्होंने पाता कि यह वास्तव में ये तरंगे 1972 के अपोलो यात्रियों द्वारा छोड़े गए लूनार मॉड्यूल डिसेंट व्हीकल से आ रहे थे.
प्रेस रिलीज में बताया गया है कि जब अपोलो 17 ने चंद्रमा छोड़ा था तब उसने अपने पीछे एक लूनार लैंडर छोड़ा था जो धातु की बहुत ही बड़ी वस्तु थी जिसके कारण चंद्रमा पर ये रहस्यमयी भूकंप आने लगे क्यों चंद्रमा की तेज गर्मी के कारण वह धातु 121 डिग्री सेल्सियस से -133 डिग्री सेल्सियस के बीच उबल कर और जम कर चटकने लगती थी. यह जानकारी बहुत ही ज्यादा काम की है क्यों के अगर हमें लंबे समय के लिए चंद्रमा पर मानव को भेजना है तो वहां इस तपामान के दायरे से निपटने की व्यवस्था करनी होगी.
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Tags: Earth, Earthquake, Moon, Nasa, Research, Science, Space
FIRST PUBLISHED : September 15, 2023, 19:26 IST
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