MLA Candidate Become CM Even After Losing In The Elections Know The Constitutional Process Yogi Adityanath Mohan Yadav Bjp Cm
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देश के पांच राज्यों में हुए चुनाव के बाद चार राज्यों में मुख्यमंत्री के नामों पर मुहर लग चुकी है. बीते सोमवार को मध्य प्रदेश में भी बीजेपी पार्टी ने मोहन यादव को मुख्यमंत्री पद के लिए चुना है. लेकिन अभी भी पूरे देश की नजर राजस्थान पर है, क्योंकि बीजेपी पार्टी ने राजस्थान में मुख्यमंत्री पद के लिए किसी भी नेता का नाम सामने नहीं रखा है. देश में लगातार मुख्यमंत्री पद की चर्चा के बीच सोशल मीडिया पर एक सवाल सामने आया है कि क्या चुनाव में हारने के बाद भी किसी विधायक को मुख्यमंत्री बनाया जा सकता है ? आज हम आपको बताएंगे कि चुनाव में हारने के बाद या बिना एमएलए का चुनाव लड़े भी किसी उम्मीदवार को पार्टी कैसे मुख्यमंत्री बना सकती है.
कैसे हारे हुए उम्मीदवार को मुख्मयंत्री बनाया जा सकता है?
भारतीय संविधान के आर्टिकल 164(4) के मुताबिक बहुमत पाने वाली पार्टी की ओर से प्रस्तावित किए जाने पर या किसी पार्टी को बहुमत नहीं मिलने की की दशा में उस राज्य का राज्यपाल अपने अधिकारों का उपयोग करते हुए किसी भी व्यक्ति को मुख्यमंत्री पद की शपथ दिला सकता है. इतना ही नहीं राज्यपाल अपने अधिकारों का इस्तेमाल करते हुए किसी आम इंसान को भी राज्य का मुख्यमंत्री बना सकता है, लेकिन इसके लिए कुछ नियम है. किसी शख्स को 6 माह तक के लिए मुख्यमंत्री बनाया जा सकता है. लेकिन अगर उसे अपना कार्यकाल पूरा करना है तो शपथ लेने के 6 माह के अंदर राज्य के किसी ना किसी विधानसभा सीट से उपचुनाव लड़कर जीतकर सदन में आना होगा या राज्य के विधानपरिषद का सदस्य चुनकर आना होगा.
कई बड़े नेता बिना चुनाव लड़े बने मुख्यमंत्री
देश में कई ऐसे बड़े नेता है, जिन्होंने एमएलए का चुनाव नहीं लड़ा और मुख्यमंत्री बने है. 2017 में उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी ने बहुमत के साथ जीत हासिल की थी. जिसके बाद मुख्यमंत्री पद के लिए योगी आदित्यनाथ का नाम सामने आया था. उस वक्त योगी आदित्यनाथ गोरखपुर सीट से सांसद थे. मुख्यमंत्री बनने के लिए योगी आदित्यनाथ को इस्तीफा देना पड़ा था. योगी आदित्यनाथ ने विधान सभा की किसी सीट से उपचुनाव लड़ने के बजाए विधान परिषद के सदस्य बन गए थे. सीएम के साथ उनके चार मंत्री भी ऐसे थे जिन्होंने विधानसभा का चुनाव नहीं लड़ा था. ऐसे में उन्हें मंत्री पद पर बने रहने के लिए छह महीने के अंदर यूपी के किसी एक सदन का सदस्य होना जरूरी था.
इसके बाद सीएम योगी आदित्यनाथ, डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य व डॉ. दिनेश शर्मा और परिवहन राज्य मंत्री स्वतंत्रदेव सिंह व राज्यमंत्री मोहसिन रजा को विधान परिषद का सदस्य निर्वाचित किया गया था. दूसरा बड़ा नाम उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी का है. सीएम पुष्कर सिंह धामी घटिमा सीट से चुनाव हार गए थे. लेकिन उसके बावजूद पार्टी ने उन्हें मुख्यमंत्री के रूप में चुना था. मुख्यमंत्री चुने जाने के बाद पुष्कर सिंह धामी ने 6 महीने के अंदर चंपावत विधानसभा सीट से उपचुनाव लड़ा था, जहां उन्होंने वह भारी मतों से विजयी हुए थे.
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