Massive Security Breach At Parliament Raised Questions About The Security Process – 4 लेयर सिक्योरिटी, बैकग्राउंड चेकिंग : फिर भी सुरक्षा तोड़कर लोकसभा में कैसे घुसे 2 लोग?
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संसद के शीतकालीन सत्र के 8वें दिन बुधवार (13 दिसंबर) को सुरक्षा को लेकर बड़ी चूक हुई. लोकसभा की कार्यवाही के दौरान विजिटर्स गैलरी से एक शख्स अचनाक सांसदों की बेंच पर कूद गया. वहीं, एक और शख्स ने गैलरी से ही कुछ कलर स्प्रे किया, इससे सदन में पीला धुआं फैल गया. 13 दिसंबर 2001 को संसद भवन पर हुए आतंकी हमले की 22वीं बरसी पर लोकसभा की सुरक्षा में ये बड़ी चूक सामने आई है. बड़ा सवाल ये है कि संसद की 4 लेयर की सिक्योरिटी के बाद भी ऐसा कैसे हुआ?
संसद में कैसे होती है एंट्री? क्या है सिक्योरिटी सिस्टम?
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एक आम आदमी को दो तरीके से संसद में एंट्री मिल सकती है. पहला तरीका- विजिट के लिए पास बनवाना. इस तरह के पास से संसद के अंदर म्यूजियम वगैरह दिखाया जाता है. दूसरा तरीका- संसद के अंदर एक विजिट तब होती है, जब संसद में सत्र चल रहा होता है. इस दौरान, कोई भी व्यक्ति संसद में जाकर लोकसभा की कार्यवाही सीधे सकता है. इसके लिए किसी सांसद के साइन किए हुए विजिटर पास की जरूरत होती है.
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2001 में हुए आतंकी हमले के बाद पुराने संसद भवन में इस्तेमाल की जाने वाली सुरक्षा प्रक्रिया में बदलाव किया गया था. उस समय जो 3-लेयर की सिक्योरिटी लागू की गई थी, उसे अपग्रेड करके 4 लेयर किया गया था. यानी संसद में आने वाले विजिटर्स को चार जगहों पर सुरक्षा जांच से गुजरना पड़ता था. नई संसद भवन में भी यही सिक्योरिटी सिस्टम लागू है.
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दिल्ली पुलिस की एक स्पेशल यूनिट और सेंट्रल रिजर्व पुलिस फोर्स (CRPF)की एक टुकड़ी संसद में तैनात है. वहां अन्य सिक्योरिटी लेयर हैं. इनमें सेंट्रल इंडस्ट्रियल सिक्योरिटी फोर्स (CISF) और फायर सर्विस समेत दूसरी एजेंसियां शामिल हैं.
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सिक्योरिटी लेयर में विजिटर्स की तलाशी लेना और उनके सामानों की जांच करना शामिल है. विजिटर्स को सदन के अंदर फोन, बैग, पेन, पानी की बोतलें और यहां तक कि सिक्के भी ले जाने की परमिशन नहीं है. एंट्री से पहले उन्हें अपना आधार कार्ड भी दिखाना पड़ता है. इस पूरे प्रोसेस के बाद ही विजिटर्स को अंदर जाने की परमिशन मिलती है.
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किसी शख्स को विजिटर पास जारी करने के लिए उसके बैकग्राउंड की भी जांच की जाती है. संभावित विजिटर को किसी सांसद के साइन किए हुए विजिटर पास दिखाना जरूरी होता है.
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लोकसभा में एंट्री के लिए जो पास दिया जाता है, वो लिमिटेड वक्त के लिए होता है. टाइम स्लॉट के मुताबिक ही आम लोगों की एंट्री होती है. पास तभी जारी होगा जब इसके फॉर्म पर सांसद के दस्तखत और मोहर लगी हो.
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ऐसी आशंका है कि लोकसभा में घुसे दोनों युवकों ने पीले स्प्रे के कनस्तर अपने जूतों के अंदर छिपा रखे थे. शायद उनकी तलाशी ले रहे सुरक्षाकर्मियों को यह नजर नहीं आया होगा. यह अभी तक स्पष्ट नहीं है कि वे फुल-बॉडी स्कैनर से कैसे बच निकले.
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