Maharaja Ranjit Singh whose golden throne is being demanded to be brought to India
[ad_1]
देश में इस वक्त महाराजा रणजीत सिंह के सोने के सिंहासन को लेकर खूब चर्चा है. लोग जानना चाह रहे हैं कि क्या भारत सरकार महाराजा रणजीत सिंह के सोने का सिहासन वापिस ला पाएगी. दरअसल, आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा ने हाल ही में राज्यसभा में महाराजा रणजीत सिंह के शाही सिंहासन को वापस लाने की मांग उठाई. उन्होंने राज्यसभा में कहा कि मैं एक ऐसे मुद्दे को उठा रहा हूं जिससे सिर्फ पंजाब ही नहीं पूरे देश की भावनाएं जुड़ी हुई हैं. चलिए आज आपको बताते हैं कि आखिर शेर ए पंजाब महाराजा रणजीत सिंह कौन थे.
कौन थे महाराजा रणजीत सिंह
भारत का इतिहास जिसने भी पढ़ा है वो महाराजा रणजीत सिंह को जरूर जानता होग. महाराजा रणजीत सिंह
का जन्म 13 नवंबर 1780 को पंजाब के गुजरांवाला में हुआ. गुजरांवाला अब पाकिस्तान में है. जब वह महज 10 साल के थे, तब उन्होंने अपने पहले युद्ध में भाग लिया. मात्र 12 साल की उम्र में उन्होंने राजगद्दी संभाली और 18 साल की उम्र में लाहौर को फतेह कर लिया. 40 वर्षों तक के अपने शासनकाल में उन्होंने अंग्रेजों को अपने साम्राज्य के आसपास भी भटकने नहीं दिया.
नेपोलियन से की जाती है तुलना
ब्रिटिश प्रशासक और राजनयिक सर लेपेल ग्रिफिन ने महाराजा रणजीत सिंह पर एक किताब लिखी है ‘रणजीत सिंह’. इसमें लेपेक लिखते हैं कि फ्रांस के शासक नेपोलियन बोनापार्ट और महाराजा रणजीत सिंह के बीच भले ही 5000 किलोमीटर की दूरी थी, लेकिन दोनों समकालीन थे. दोनों ही नाटे कद के थे, लेकिन दोनों ने ही बड़ी-बड़ी सैन्य लड़ाईयां जीती थीं.
20 साल की उम्र में हुई ताजपोशी
महाराजा रणजीत सिंह की उम्र महज 12 साल ही थी जब उनके पिता की मृत्यु हो गई. खेलने की उम्र में उनके कंधों पर गद्दी की जिम्मेदारियां आ गईं. लेकिन उनकी ताजपोशी तब हुई जब वह 20 साल के हुए. 12 अप्रैल 1801 को रणजीत सिंह की पंजाब के महाराज के तौर पर ताजपोशी की गई. ताजपोशी के बाद 1802 में उन्होंने अमृतसर को अपने साम्राज्य में मिला लिया और 1807 में अफगानी शासक कुतुबुद्दीन को हराकर कसूर पर भी कब्जा कर लिया. 1818 में मुल्तान और 1819 में उन्होंने कश्मीर पर भी कब्जा कर लिया. हालांकि, 27 जून, 1839 को महाराजा रणजीत सिंह का निधन हो गया. कहते हैं कि इसके बाद से ही सिख साम्राज्य का पतन शुरू हो गया था.
ये भी पढ़ें: शिकारियों से ज्यादा सिस्टम की लापरवाही ले रही ‘गजराज’ की जान, लोकसभा के आंकड़े देख कर हैरान रह जाएंगे
[ad_2]
Source link