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बेंगलुरु में विपक्षी एकता की बैठक को कांग्रेस क्यों बता रही गेम चेंजर?

विपक्षी दलों की इस बैठक के लिए 18 जुलाई का दिन अहम है, जहां कई मुद्दों को अंतिम रूप दिया जाएगा.

लोकसभा चुनाव 2024 में बीजेपी को हराने की रणनीति तैयार करने के लिए बेंगलुरु में विपक्षी दलों की दूसरी बैठक के लिए 17 जुलाई को राजनीतिक पार्टियों का जमावड़ा लगा. कांग्रेस महासचिव वेणुगोपाल ने बताया कि इसमें 26 पार्टियां शामिल हुए. पहले कहा गया कि था कि 24 दल हैं, मगर अब बढ़ कर 26 हो गए. कांग्रेस, डीएमके, टीएमसी, जेडीयू, आरजेडी, एनसीपी, शिवसेना यूबीटी, सीपीएम, सीपीआई, समाजवादी पार्टी, नेशनल कॉन्फ्रेंस, पीडीपी, सीपीआईएमएल, झारखंड मुक्ति मोर्चा, राष्ट्रीय लोक दल, एमडीएमके, वीसीके, आरएसपी, केडीएमके, फॉरवर्ड ब्लॉक, आई यूएमएल, केरल कांग्रेस (जोसेफ), केरल कांग्रेस(मनी), अपना दल(कमेरावादी) और तमिलनाडु की एमएमके ने इस बैठक में शामिल हुए. कांग्रेस समेत तमाम दलों ने बेंगलुरु की इस बैठक को भारतीय राजनीति के लिए गेम चेंजर बताया है.

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कांग्रेस कहना है कि भूत बन चुके एनडीए को जीवित करने के पीछे भी विपक्षी दलों की बैठक का हाथ है. कांग्रेस ने बीजेपी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर तंज कसते हुए कहा कि जो कल तक अकेले सबको हराने की बात करते थे, उन्हें अब एनडीए को पुर्नजीवित करना पड़ रहा है. क्योंकि विपक्षी दलों की एकता की वजह से बीजेपी को यह कदम उठाना पड़ा है.

प्रधानमंत्री हमेशा से क्षेत्रीय दलों को पारिवारिक पार्टी करार दिया है और अब उन्हीं दलों को एनडीए का न्योता भेजा जा रहा है. आज बेंगलुरु में विपक्ष के नेताओं का जुटान एक ऐसी राजनीतिक गतिविधि माना जा रहा है, जिससे इन सभी दलों का भविष्य भी जुड़ा हुआ है. क्योंकि सभी को लग रहा है कि सरकारी एजेंसी कभी न कभी उनके पीछे भी पड़ेंगी. साथ ही जिस ढंग से राहुल गांधी की सदस्यता गई, उसने भी सभी विपक्षी दलों को जोड़ने का काम किया है.

बेंगलुरु में आज सभी विपक्षी नेताओं के लिए मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने डिनर पर बुलाया है, जिसमें सोनिया गांधी भी शामिल होंगी. सोनिया गांधी के इस बैठक में आने से कांग्रेस का नेतृत्व पर दावेदारी मज़बूत करना माना जा रहा है. सोनिया गांधी ने यूपीए का नेतृत्व किया है. उन्हें सहयोगी दलों को साथ ले कर चलने का अनुभव भी है. कांग्रेस को लगता है कि कोई भी मोर्चा बिना कांग्रेस के संभव नहीं है. सबसे बड़ी पार्टी होने के नाते नेतृत्व की भी ज़िम्मेवारी भी उन्हीं की है. 

हालांकि, इस बैठक में नेता नहीं चुना जाना है. मगर मुद्दों पर बात होनी है. इसके अलावा एक कॉमन मिनिमम प्रोग्राम पर भी चर्चा होगी. मोर्चा का नाम भी तय होना है. इसका संयोजक भी बनाया जाना है. विपक्षी दलों की इस बैठक के लिए 18 जुलाई का दिन अहम है, जहां कई मुद्दों को अंतिम रूप दिया जाएगा.

मनोरंजन भारती NDTV इंडिया में मैनेजिंग एडिटर हैं…

डिस्क्लेमर: इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं.

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