Katchatheevu Was Given To Sri Lanka In The 1974 Agreement That Is Why The Entry Of Fishermen Was Banned Said S Jaishankar – कच्चाथीवू द्वीप को सिरदर्द मानते थे पंडित नेहरू, दे देना चाहते थे…, विदेशमंत्री एस. जयशंकर

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lv64o4ns s jaishankar Katchatheevu Was Given To Sri Lanka In The 1974 Agreement That Is Why The Entry Of Fishermen Was Banned Said S Jaishankar - कच्चाथीवू द्वीप को सिरदर्द मानते थे पंडित नेहरू, दे देना चाहते थे..., विदेशमंत्री एस. जयशंकर

नई दिल्‍ली :

कच्चाथीवू मुद्दे पर विदेश मंत्री और भाजपा नेता डॉ. एस जयशंकर ने कहा कि हम जानते हैं कि यह किसने किया, यह नहीं पता कि इसे किसने छुपाया… हमारा मानना है कि जनता को यह जानने का अधिकार है कि यह स्थिति कैसे उत्पन्न हुई. कच्चाथीवू मुद्दे पर जयशंकर ने कहा कि तत्कालीन प्रधानमंत्रियों ने भारतीय क्षेत्र के प्रति उदासीनता दिखायी, उन्हें कोई परवाह ही नहीं थी. द्रमुक ने कच्चाथीवू को श्रीलंका को सौंपने पर सवाल उठाए, उसने दावा किया कि तमिलाडु सरकार से विचार-विमर्श नहीं किया गया, जबकि सच्चाई यह है कि उसे इसकी पूरी जानकारी दी गयी थी. उन्‍होंने कहा कि पंडित नेहरू ने इस मुद्दे को एक सिरदर्द के रूप में देखा. वह कच्चाथीवू को जल्द से जल्द देना चाहते थे.

1974 के समझौते में कच्चाथीवू को श्रीलंका को दिया गया

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कच्चाथीवू मुद्दे पर विदेश मंत्री और भाजपा नेता डॉ. एस जयशंकर ने कहा, “सत्य यह है कि आज हम वास्तव में न केवल यह जानते हैं कि यह किसने किया और किसने इसे छुपाया, बल्कि यह भी जानते हैं कि 1974 के कच्चाथीवू समझौते के लिए जिम्मेदार पार्टियां कौन थी और 1976 में मछुआरों का अधिकार कैसे समाप्त किया गया, आप सभी जानते हैं कि कौन जिम्मेदार है. आज जनता के लिए यह जानना ज़रूरी है, जनता के लिए निर्णय करना ज़रूरी है. यह मुद्दा वास्तव में जनता से बहुत लंबे समय तक छिपाया गया है.”

“20 सालों में 6184 भारतीय मछुआरों को श्रीलंका ने हिरासत में लिया

कच्चाथीवू में भारतीय मछुआरों की एंट्री पर लगे बैन पर एस जयशंकर ने कहा, “पिछले 20 वर्षों में 6184 भारतीय मछुआरों को श्रीलंका द्वारा हिरासत में लिया गया है और इसी समयकाल में 1175 भारतीय मछली पकड़ने वाली नौकाओं को श्रीलंका द्वारा जब्त किया गया है. पिछले पांच वर्षों में कच्चाथीवू मुद्दा और मछुआरे का मुद्दा संसद में विभिन्न दलों द्वारा बार-बार उठाया गया है. यह संसद के सवालों, बहसों और सलाहकार समिति में सामने आया है. तमिलनाडु के तत्कालीन मुख्यमंत्री ने मुझे कई बार पत्र लिखा है और मेरा रिकॉर्ड बताता है कि मौजूदा मुख्यमंत्री को मैं इस मुद्दे पर 21 बार जवाब दे चुका हूं. यह एक जीवंत मुद्दा है, जिस पर संसद और तमिलनाडु हलकों में बहुत बहस हुई है. यह केंद्र सरकार और राज्य सरकार के बीच बातचीत का विषय रहा है.”

विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा, “हमें एक समाधान तलाशना होगा, हमें श्रीलंकाई सरकार के साथ इस पर काम करना होगा.” बता दें कि श्रीलंका ने 1948 में स्वतंत्रता के बाद कच्चाथीवू पर दावा करना शुरू किया. शुरुआत में भारत का रुख यह था कि कच्चाथीवू पर उसकी संप्रभुता है और यह द्वीप उसका है.

कांग्रेस ने संवेदनाहीन ढंग से कच्चाथीवू दे दिया- PM मोदी

इससे पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मीडिया में आयी एक खबर के हवाले से रविवार को कहा कि नए तथ्यों से पता चलता है कि कांग्रेस ने कच्चाथीवू द्वीप ‘संवेदनाहीन’ ढंग से श्रीलंका को दे दिया था. उन्होंने ‘एक्स’ पर एक खबर साझा करते हुए कहा, “आंखें खोलने वाली और चौंका देने वाली खबर. नए तथ्यों से पता चलता है कि कांग्रेस ने कैसे संवेदनाहीन ढंग से कच्चाथीवू दे दिया था. इससे प्रत्येक भारतीय नाराज है और लोगों के दिमाग में यह बात बैठ गयी है कि हम कभी कांग्रेस पर भरोसा नहीं कर सकते.” प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “भारत की एकता, अखंडता और हितों को कमजोर करना कांग्रेस का 75 वर्ष से काम करने का तरीका रहा है.”

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