It Took Them 70 Years To Remove Article 370 Who Knows It Will Take Us 200 Years To Bring It Back: Farooq Abdullah – Exclusive Interview: इनको 370 हटाने में 70 साल लगे, क्या पता हमें 200 साल लगें वापस लाने में…फारुख अब्दुल्ला

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Exclusive Interview:

खास बातें

  • फारुख अब्दुल्ला ने NDTV से खास बातचीत की
  • अनुच्छेद 370 पर SC के फैसले को लेकर NDTV से बोले फारूक अब्दुल्ला
  • एक्सक्लूसिव इंटरव्यू

जम्मू-कश्मीर नेशनल कॉन्फ्रेंस के प्रमुख फारूक अब्दुल्ला (Farooq Abdullah) ने संविधान के अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को निरस्त करने को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर NDTV से खास बातचीत की.

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’70 साल लगे इनको हटाने में’

फारूक अब्दुल्ला ने कहा, ”सर आंखों पर उन्होंने फैसला दिया यह ठीक है. इसी सुप्रीम कोर्ट के जज ने 370 को लेकर फैसला दिया था कि 370 परमानेंट है आगे क्या होगा क्या पता है और कोर्ट में जाएंगे फिर देखेंगे कि क्या फैसला आता है. देखिए उम्मीद पर जिंदगी खड़ी है. यह मामला चला जाएगा…70 साल लगे इनको हटाने में, क्या पता हमें इसको लाने में 200 साल लगें.

उन्होंने आगे कहा कि आपको याद करना चाहिए गुलाम नबी आजाद साहब का बयान राज्यसभा में…जब उन्होंने दो राज्यों की तुलना की थी. जम्मू-कश्मीर और गुजरात की…हर चीज में जम्मू-कश्मीर गुजरात से ऊपर था, वह कैसे हुआ. यह सब इसी सदन हुआ था. उस वक्त 370 था… 4 साल हो गए इसको हटाए हुए… हमारे सिपाही हमारे अफसर मर रहे हैं. एक राज्य में दो विधान को लेकर इनका पुराना नारा है. 

अगर पंडित नेहरू नहीं होते तो क्या 70 साल में देश ने कुछ नहीं किया…आज जो चंद्रयान आपके ऊपर बैठा हुआ है. वह किसकी वजह से है. इसकी शुरुआत किसने की?. एटॉमिक एनर्जी की शुरुआत किसने की?. जवाहरलाल नेहरू ने शुरू किया. 60 साल में हिंदुस्तान खड़ा हुआ है.

फारूक अब्दुल्ला ने कहा, “ये बात गलत है नेहरू की गलती की वजह से पीओके नहीं गया है. आप चिट्ठी देखिए सरदार पटेल की…जब देहरादून में बीमार थे. उन्होंने गोपाल स्वामी अयंगर को भी लिखा था, हमारे पास अब ज्यादा देर के लिए साधन नहीं हैं. हम लड़ाई ज्यादा देर तक नहीं चला सकते हैं. इसके लिए जवाहरलाल नेहरू को क्यों जिम्मेदार ठहराते हैं.”

उच्चतम न्यायालय ने पूर्ववर्ती जम्मू-कश्मीर राज्य को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को निरस्त किए जाने के सरकार के फैसले को बरकरार रखते हुए सोमवार को कहा कि अगले साल 30 सितंबर तक विधानसभा चुनाव कराने के लिए कदम उठाए जाने चाहिए. शीर्ष अदालत ने यह भी निर्देश दिया कि केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर का राज्य का दर्जा जल्द से जल्द बहाल किया जाए.

प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ ने अपने और न्यायमूर्ति बी आर गवई एवं न्यायमूर्ति सूर्यकांत की ओर से फैसला सुनाते हुए कहा कि संविधान का अनुच्छेद 370 एक अस्थायी प्रावधान था और राष्ट्रपति के पास इसे रद्द करने की शक्ति है.

शीर्ष अदालत ने पांच अगस्त, 2019 को जम्मू-कश्मीर से केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख को अलग करने के फैसले की वैधता को भी बरकरार रखा. केंद्र सरकार ने इस दिन अनुच्छेद 370 को निरस्त कर दिया था और पूर्ववर्ती जम्मू-कश्मीर राज्य को दो केंद्रशासित प्रदेशों- जम्मू-कश्मीर एवं लद्दाख में विभाजित कर दिया था.

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