Israel Palestine Conflict Tears And Laughter On Gaza Beach As Children Get Break From War Amid Ceasefire – इजरायल-हमास की जंग से मिला ब्रेक तो गाजा बीच पर बहे आंसू और लगे ठहाके, एक-दूसरे का बांटा गम

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5rn164co israel hamas Israel Palestine Conflict Tears And Laughter On Gaza Beach As Children Get Break From War Amid Ceasefire - इजरायल-हमास की जंग से मिला ब्रेक तो गाजा बीच पर बहे आंसू और लगे ठहाके, एक-दूसरे का बांटा गम

 गाजा के समुद्री तट पर बच्चे पानी में उछल-कूद कर रहे थे. छोटी-छोटी लहरों पर छलांग लगा रहे थे. वहीं, वयस्क लोग नंगे पैर किनारे बैठे हुए थे. उत्तरी गाजा से विस्थापित महिला अस्मा अल-सुल्तान अपनी मां के साथ रेत पर बैठी थी.

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संयुक्त राष्ट्र के स्कूल में रह रहे सैकड़ों गाजावासी
न्यूज एजेंसी रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, अल-सुल्तान परिवार के 30 से ज्यादा सदस्य सैकड़ों अन्य विस्थापित लोगों के साथ दीर अल-बलाह शहर में संयुक्त राष्ट्र के एक स्कूल में शरणार्थी के तौर पर रह रहे हैं. अस्मा ने कहा, “भीड़भाड़ वाले स्कूल और निराशाजनक वातावरण से हम कहीं अलग जाना चाहते थे. माहौल बदलने और कुछ राहत की सांस लेने के लिए हम समुद्र तट पर आए थे.”

अस्मा कहती हैं, “लोग समुद्र तट पर सुकून, तैरने या अपने बच्चों के मनोरंजन के लिए आते हैं. वे साथ में खाना खाते हैं. लेकिन हम बहुत उदास हैं. हम समुद्र तट पर हैं, लेकिन हम रोना चाहते हैं.”

इजरायली हमले में घर-बार छोड़ने को हुए मजबूर

उत्तरी गाजा में इजरायल के जमीनी ऑपरेशन की वजह से हजारों लोगों को अपना घर-बार छोड़ने को मजबूर होना पड़ा. इन सभी लोगों ने गाजा के दक्षिणी हिस्से में रिलीफ कैंप, स्कूलों या दोस्तों-रिश्तेदारों के घरों में शरण ली है.

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टेंट कैंप और स्कूलों में बदहाली का आलम

टेंट कैंप और स्कूलों में क्षमता से ज्यादा शरणार्थी आ गए हैं. यहां शौचालयों और स्नानघरों की कमी है. दो वक्त की रोटी और पानी के लिए घंटों लाइन में खड़े रहना पड़ता है. बमबारी और विस्थापन से इन लोगों के मनोवैज्ञानिक स्वास्थ्य (Mental Health) पर भी असर पड़ा है.

दीर अल-बलाह के समुद्र तट के पीछे कचरे से भरी ढलान के नीचे मछुआरों की कुछ झोपड़ियां हैं. कुछ विस्थापित लोगों ने यहां भी शरण ले रखी है.

भविष्य को लेकर चिंता

अस्मा के रिश्तेदारों में एक वलीद अल-सुल्तान झोपड़ियों के पास मछली पकड़े के जाल को खोलने की कोशिश कर रहे थे. उन्होंने कहा, “जब मुझे विस्थापित किया गया, तो मैं अपने साथ कुछ भी लेकर नहीं आया. इसलिए मैंने सोचा कि मैं मछली पकड़ कर अपनी जीविका चलाऊंगा, लेकिन इजरायली गार्डों ने मुझे ऐसा करने से रोक दिया. हम पर गोलीबारी शुरू कर दी.”

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7 अक्टूबर को शुरू हुई थी जंग

इजरायल और फिलिस्तीनी संगठन हमास के बीच 7 अक्टूबर को जंग शुरू हुई थी. हमास ने इस दिन गाजा पट्टी से इजरायल की तरफ कुछ मिनटों में 5000 से ज्यादा रॉकेट दागे थे. हमास के लड़ाकों ने घुसपैठ करके हमला किया और 240 लोगों को बंधक बनाकर ले गए. हमास के रॉकेट हमले में 1200 इजरायलियों की मौत हो गई थी.

इसके बाद से इजरायल गाजा पर जवाबी कार्रवाई कर रहा है.

हमास-नियंत्रित क्षेत्र के स्वास्थ्य अधिकारियों के अनुसार, इजरायल ने गाजा पर चौतरफा हमले का जवाब दिया. गाजा में अब तक 14,800 फिलिस्तीनी मारे गए. कुछ विस्थापित लोगों ने शुक्रवार से शुरू हुए चार दिनों के सीजफायर का लाभ उठाते हुए अपने घरों की जांच की. वहीं अन्य लोग उत्तर की ओर लौटने से डर रहे हैं. जंग के कारण यहां का ज्यादातर इलाका खंडहर में तब्दील हो गया है.

अपने और अपनों के लिए डर

अस्मा के पति हजेम अल-सुल्तान ने कहा, “हम इन चार दिन के खत्म होने को लेकर डरे हुए हैं. हमें नहीं पता कि आगे हमारे साथ क्या होगा.” हजेम अल-सुल्तान कहा,”हमने और हमारे रिश्तेदारों ने इजरायली सैनिकों के डर से उत्तर की ओर जाने की हिम्मत नहीं की. हमें पता नहीं कि हमारे घरों की हालत क्या हुई होगी.” उन्होंने कहा, “हम अपने बच्चों और अपने लिए डरे हुए हैं. हम नहीं जानते कि क्या करें.”

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