Israel Hamas Gaza Palestine War Hamas Tunnel Warfare Ans Lesson For Israel From Vietnam War – हमास का टनल वॉर, इजरायल वियतनाम वॉर और अल-कायदा से कैसे ले सबक?

[ad_1]

नई दिल्ली:

इज़रायल और हमास के बीच युद्ध (Israel Hamas War) का आज 13वां दिन है लेकिन तनाव कम होने का दूर-दूर तक कोई संकेत मिलता नहीं दिख रहा है. हमास और इजरायली सेना के बीच विषमताओं के बावजूद, एक सीक्रेट टूल सुरंग है, जिसका उपयोग हमास घात लगाने के लिए कर सकता है और अपने लड़ाकों के लिए हथियारों की आपूर्ति सुनिश्चित कर सकता है. भूमिगत युद्ध या सुरंग युद्ध किसी भी प्रारंभिक सभ्यता जितना ही पुराना है. आधुनिक युद्ध में भी इसका इस्तेमाल बड़े स्तर पर किया जाता है. हमास का सुरंग नेटवर्क भी बहुत ही मजबूत माना जाता है. एक्सपर्ट्स के मुताबिक इजरायल अगर जमनी युद्ध करता है तो दुश्मन से लड़ना उसके लिए आसान नहीं होगा.  

सुरंगों का उपयोग 66 से 70वीं ईसवी तक रोमन सेनापतियों के खिलाफ यहूदी विद्रोह से लेकर वियतनाम युद्ध तक किया गया था. कम्युनिस्ट वियतनाम कांग्रेस से लड़ने या तोरा बोरा की लड़ाई के दौरान अफगानिस्तान में अल कायदा से लड़ने तक, सदियों से, सुरंगें छिपने की सबसे बढ़िया जगह रही हैं. दुश्मन पर घात लगाकर हमला करने के लिए सुरंगें अहम भूमिका निभाती हैं.  

ये भी पढ़ें-गाजा के अस्पताल में विस्फोट के लिए “इजरायल नहीं है जिम्मेदार”, US ने दिया सबूत | बाइडेन की नेतन्याहू को नसीहत

हमास की सुरंगें

हमास नेता याह्या सिनवार ने दावा किया था कि गाजा में सुरंग नेटवर्क 500 किमी लंबा है. इसको 2021 में इज़रायल सेना ने सिर्फ 5 प्रतिशत ही नष्ट किया था. ग्राफिक्स में गाजा पट्टी में सुरंगों के नेटवर्क को आसानी से देखा जा सकता है. लाल रंग से मार्क की गई सुरंग नेटवर्क पूरे इलाके में यहां तक कि बॉर्डर पर किसी भूलभुलैया से कम नहीं है. साल 2007 में गाजा पट्टी पर कंट्रोल करने से बाद से हमास हमास लगातार शहर के भीतर और गाजा-इजरायल बॉर्डर के पार नेटवर्क के विस्तार में लगा हुआ है. 

Latest and Breaking News on NDTV

सुरंगों पर अमेरिका का अनुभव

20 साल लंबे वियतनाम युद्ध के दौरान, वियत कांग्रेस गुरिल्लाओं ने अपने ‘हिट एंड एस्केप’ यानी कि घात लगाकर पावरफुल अमेरिका को नुकसान पहुंचाया था. इस युद्ध में गुरिल्ला रणनीति सुरंगों की वजह से ही सफल हो सकी थी. सुरंगों ने गुरिल्लाओं को न सिर्फ छिपने के लिए जगह दी बल्कि अमेरिकी सेनाओं को गुमराह करने के लिए रणनीति बनाने में भी मदद की. इन सुरंगों का इस्तेमाल अमेरिकी सेनाओं और हेलीकॉप्टर निगरानी मिशनों से छिपने के लिए किया गया था.

वियतनाम की क्यू ची में इतनी जगह थी कि वियतनाम की पूरी सेना छिप सकती थी और ट्रेनिंग भी ले सकती थी. अमेरिका को भनक लगे बिना जहां से एक क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र में जाना भी बहुत आसान था. वियत कांग गुरिल्ला ऐसी सुरंगों में छिपकर दुश्मनों पर घात लगाकर हमला कर देते थे. जब तक दुश्मन इनको पहचान पाते यह वापस सुंरगों में घुस जाते थे. ऐसी एक सुरंग का फोटो मिला है, जिसमें पानी के लिए कुओं, जल प्रणालियों, भंडारण क्षेत्रों और यहां तक ​​कि बूबी ट्रैप के साथ बढ़िया नेटवर्क मौजूद है. अमेरिका ने ‘टनल रैट्स’ नाम की एक खास यूनिट बनाई, जिसके कर्मियों को वियतनाम कांग्रेस से लड़ने के लिए ऐसी सुरंगों में उतरने के लिए बाकायता ट्रेनिंग दी गई थी.
Latest and Breaking News on NDTV

तोरा बोरा की लड़ाई: लादेन को भगाने में सुरंगों का योगदान

9/11  हमले के बाद अमेरिका ने तालिबान शासित अफगानिस्तान में अल-कायदा के ठिकानों के खिलाफ ऑपरेशन एंड्योरिंग फ्रीडम शुरू किया था. अमेरिका का मकसद तालिबान को हटाना और अल-कायदा के आतंकी ओसामा बिन लादेन को पकड़ना था. अमेरिका कुछ ही हफ्तों में तालिबान को उखाड़ने में सफल रहा लेकिन वह लादेन को नहीं कपड़ सका, क्यों कि लादेन सुरंगों के जरिए पाकिस्तान भागने में सफल हो गया था. बता दें कि तोरा बोरा अफगानिस्तान में जलालाबाद से 48 किमी दक्षिण पूर्व में एक किले जैसा हिस्सा है.  तोरा बोरा के पहाड़ों में प्राकृतिक गुफाएं और सुरंगें थीं. जबकि कुछ सुरंगें बिन लादेन ने बनवाई थीं.

अमेरिकी सरकार की एक रिपोर्ट के मुताबिक लादेन खुद की बनाई सुरंगों और गुफाओं के नेटवर्क की वजह से पूर्वी अफगानिस्तान से भाग गया था. तोरा बोरा में सुरंगों के निर्माण की निगरानी खुद बिन लादेन ने की थी. इस सुरंग नेटवर्क ने सोवियत-अफगान युद्ध के दौरान अहम भूमिका निभाई थी, जब बिन लादेन ने इसे एक दुर्जेय गढ़ में बदल दिया था.ये सुरंगें कितनी मजबूत थीं इस बात का अंदाजा इस बात से ही लगाया जा सकता है कि लगातार अमेरिकी हवाई हमले और यहां तक ​​कि डेज़ी कटर के नाम से मशहूर 15,000 किलोग का बम भी बिन लादेन को तोरा बोरा से भागने से नहीं रोक सका. 2011 में अमेरिकी सेना के एक सीक्रेट ऑपरेशन में नमारे जाने से पहले ओसामा पाकिस्तान के आदिवासी इलाके में इन्हीं सुरंगों में छिपा था. 

सद्दाम हुसैन की गुप्त सुरंगें

2003 में राष्ट्रपति बुश द्वारा ईराक के पास मौजूद “सामूहिक विनाश के हथियारों” के बारे में दुनिया को आगाह करने के बाद अमेरिका ने ईराक के राष्ट्रपति सद्दाम हुसैन को हटाने की कसम खाई थी. दूसरे गल्फ युद्ध के दौरान सुरंगें मीलों तक फैली हुई थीं. सुरंगें घरों से लेकर न सिर्फ सैन्य ठिकानों बल्कि सद्दान हुसैन के महल तक फैली हुई थीं. सुरंगों का नेटवर्क इतना मजबूत और बड़ा था कि इनमें सद्दान हुसैन के साथ ही सैनिक, गोला, बारूद के साथ ही विनाशकारी हथियार भी आसानी से छिपाए जा सकते थे, जो कि अमेरिका को भी कभी नहीं मिले.

ये भी पढ़ें-रिश्ते बिगड़ने या बमबारी का डर? आखिर गाजा के लोगों को पनाह देने से क्यों कतरा रहा इजिप्ट

[ad_2]

Source link

x