Indian Army Alert Regarding Cyclone Biparjoy, Army Rehearsed At Many Places – Cyclone Biparjoy को लेकर इंडियन आर्मी अलर्ट, कई जगहों पर सेना ने किया पूर्वाभ्यास

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Cyclone Biparjoy को लेकर इंडियन आर्मी अलर्ट, कई जगहों पर सेना ने किया पूर्वाभ्यास

नई दिल्ली:

चक्रवाती तूफान बिपरजॉय (Cyclone Biparjoy) को लेकर सरकार की तरफ से व्यापक तैयारी की जा रही है. वहीं भारतीय सेना ने भी प्राकृतिक आपदा से निपटने के लिए काम शुरु कर दिया है. इसके तहत भुज, जामनगर, गांधीधाम, धरंगधरा, वडोदरा और गांधीनगर के साथ-साथ नलिया, द्वारका और अमरेली में बाढ़ राहत कॉलम का पूर्वाभ्यास किया गया और उन्हें आने वाली किसी भी समस्या को लेकर तैयार रखा गया है. 

 

सेना के अधिकारियों ने नागरिक प्रशासन और एनडीआरएफ के साथ संयुक्त रूप से राहत कार्यों की योजना बनाई है. संवाद कार्यक्रम में शामिल सभी एजेंसियों ने अपनी सर्वोत्तम कार्यों और सेवाओं को एक-दूसरे के साथ साझा करने और उनका लाभ एक-दूसरे को उठाने के लिए मंच दिया है. मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में हुई बैठक में भारतीय सेना के प्रतिनिधियों ने भी भाग लिया और संकट के समय में पूर्ण समर्थन का वचन दिया. तेज हवाओं और भारी वर्षा के कारण किसी भी नुकसान को कम करने के लिए पड़ोसी राज्य राजस्थान से भी संसाधन उपलब्ध कराए गए हैं. 

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15 जून की शाम तक तट से टकराने की है आशंका

चक्रवाती तूफान बिपरजॉय 15 जून की शाम तक एक अति प्रचण्ड चक्रवाती तूफान बनकर सौराष्ट्र-कच्छ और उससे लगे पाकिस्तान के तटों को माण्डवी (गुजरात) एवं कराची (पाकिस्तान) के मध्य में स्थित जखाऊ बंदरगाह के पास पार कर सकता है. इस बढ़ते खतरे को देखते हुए गुजरात के कच्छ, देवभूमि द्वारका, पोरबंदर, जामनगर, राजकोट, जूनागढ़ और मोरबी में हाई अलर्ट जारी कर दिया गया है. सरकार की तरफ से लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा रहा है.

मौसम विभाग ने भारी नुकसान होने की जताई आशंका

मौसम विभाग के डीजी डॉ. एम मोहापात्रा ने एनडीटीवी से बात करते हुए कहा कि 6 तारीख के बाद तीन से चार बार साइक्लोन अपनी दिशा बदल चुका है. अगले 1 से 2 दिन में इसकी दिशा एक से दो बार और बदलने का पूर्वानुमान है.आईएमडी के प्रमुख मृत्युंजय महापात्र ने बताया, “इससे संभवत: काफी अधिक नुकसान हो सकता है. गुजरात में कच्छ, देवभूमि द्वारका, जामनगर जिलों में 15 जून को 20 सेंटीमीटर से अधिक बारिश हो सकती है. आमतौर पर इन इलाकों में इतनी अधिक बारिश नहीं होती. इसलिए इससे निचले इलाकों में बाढ़ आने की आशंका है.” 

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