ILBS Director Doctor S K Sarin Talked About The Fatty Liver Functioning Treatment Diseases – शादी में जन्म पत्री के साथ जीन पत्री भी मिलाएं… : ILBS डायरेक्टर ने बताया फैटी लिवर से होती हैं कौन सी बीमारियां?

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ILBS Director Doctor S K Sarin Talked About The Fatty Liver Functioning Treatment Diseases - शादी में जन्म पत्री के साथ जीन पत्री भी मिलाएं... : ILBS डायरेक्टर ने बताया फैटी लिवर से होती हैं कौन सी बीमारियां?

NDTV के साथ खास इंटरव्यू में लिवर की हेल्थ पर जोर देते हुए डॉक्टर शिव कुमार सरीन ने कहा, “शादी में हमें जन्म पत्री के साथ जीन पत्री भी मिलाना चाहिए. जिस खानदान में बीमारियों का इतिहास है, वहां जाकर बीमारियां तो होंगी है. इसलिए हमें जन्म पत्री के साथ ही जीन पत्री भी मिलाना चाहिए. यानी मेडिकल हिस्ट्री भी देखनी चाहिए.”

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डॉक्टर शिव कुमार सरीन ने कहा, “लिवर में सामान्य रूप से 5 फीसदी से कम फैट होनी चाहिए. 1500 ग्राम का लिवर है तो 75 ग्राम से ऊपर फैट नहीं होनी चाहिए. लेकिन किसी-किसी व्यक्ति में 10 फीसदी से ज्यादा लिवर में फैट हो जाए, तो मुश्किल बढ़ती है. भारत में लगभग 40 से 50 फीसदी जनता के लिवर में अतिरिक्त चर्बी है, वो चर्बी ठीक नहीं है. जैसी ही लिवर में फैट हुई और लिवर का सेल फैट से भर गया तो उसमें इंसुलिन नहीं जाती है.”

डॉ. सरीन कहते हैं, “इंसुलिन नही जाती है, तो ये आगे जाकर डायबिटिज की समस्या बन जाती है. डायबिटिज को लिवर डिजिज की तरह माना जाता है. वहीं, फैट आर्ट्रीज (धमनियों) में जमा हो जाती है, तो आर्ट्रीज हार्ड हो जाती है. इससे आर्ट्रीज में खून नहीं पहुंच पाता, तो ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है. इससे हार्ट अटैक हो जाता है. कैंसर के सभी प्रकार भी उससे जुड़े हुए हैं.”

कैसे रखें अपने लिवर का ख्याल?

डॉ. सरीन ने कहा, “मेरी किताब ‘Own Your Body’ में मैंने फैटी लिवर से होने वाली समस्याओं को अपने अनुभव से समझाने की कोशिश की है. किताब में 10 कमांडमेंट्स बताए गए हैं. 4 लाइफलाइन और 50 दीर्घायु होने के टिप्स भी दी गई है.” उन्होंने बताया, “सबसे पहले फैमिली ट्री बनाइए, जिसके जरिए विरासत के बिमारियों के बारे में पता चलेगा. अपना हिप और वेस्ट साइज याद रखें. अगर आप महिला हैं, तो हिप साइज 40 है, तो वेस्ट 32 इंच से ज्यादा नहीं होनी चाहिए. अगर आपकी वेस्ट 36 इंच हो गई है, तो आप अनहेल्दी हो गए.”

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वजन को रखें कंट्रोल

डॉ. सरीन की किताब में थाइराइड का भी जिक्र है. अगर आप पतले हो गए, तो थाइराइड की दवाइयां कम हो जाएगी. अगर मां का वजन बढ़ा हुआ है और उन्हें दूसरा बच्चा चाहिए, तो बच्चा प्लान तब तक न करें, जब तक कि वजन कंट्रोल में न आए. क्योंकि अगर आप ओवर वेट होते हैं, तो सबसे पहले कोलेस्ट्रोल होता है. इसे ट्राइग्लासराइड रेंज हाई हो जाता है. इस हालत में लिवर से एक्सट्रा फैट खून में जाएगा. इससे बीपी हो सकता है. इसी समय शुगर हो जाएगा.

खर्राटें लेना भी बीमार होने के लक्षण

डॉ. सरीन ने अपनी किताब में खर्राटों पर भी बात की. उन्होंने कहा, “किसी शख्स की गर्दन छोटी और मोटी होती है, उसे नींद में खर्राटे लेने पड़ते हैं. क्योंकि रात को अतिरिक्त सांस लेना पड़ता है. खर्राटे लेने वाले को मेटाबोलिक हेल्थ चेक कराना चाहिए. अगर आपके गर्दन पर मस्सा है या काली लकीर है तो भी लीवर हेल्थ, मेटाबोलिक हेल्थ जरूर चेक कराना चाहिए. इससे पता चलेगा कि आपके अंदर एक्सट्रा फैट है या नहीं.”

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डॉ. सरीन कहते हैं, “अपने शरीर को एंब्रेस करें. अपना लाइफ स्टाइल सही रखें. अगर शुगर हो गया तो वजन कम करने की कोशिश करें. अच्छा खाएं और हेल्दी खाएं. ताकि डॉक्टर के पास जाने की जरूरत कम हो.”

40 की उम्र के बाद एक बार खाना बेहतर

डॉ. सरीन ने ये भी बताया कि 40 की उम्र के बाद हमारा खानपान कैसा होना चाहिए. उन्होंने कहा, “सामान्य तौर पर 40 की उम्र के बाद एकाहारी होना चाहिए. दिनभर में एक ही बार खाना खाना चाहिए. एकाहारी होने से डाइट कम रहेगी. जितना कैलोरी कम रहेगा उतना हेल्थ ठीक रहेगा. आप अगर 40 के हैं तो साल में 1 बार, अगर 50 के हैं तो साल में 2 बार अपना फुल बॉडी हेल्थ चेकअप कराएं. अगर आपकी उम्र 60 के ऊपर है, तो आपको साल में कम से कम 3 बार हेल्थ चेकअप करवाना चाहिए. हेल्थ चेकअप में ब्लड टेस्ट, अल्ट्रासाउंड, हार्ट और लीवर चेकअप जरूरी है.”

लिवर का ख्याल नहीं रखा तो ये हो सकती हैं ये बीमारियां:-

-हेपेटाइटिस A

-हेपेटाइटिस B

-लिवर सिरोसिस

-लीवर कैंसर

-नॉन एल्कोहलिक फैटी लिवर डिजीज (NAFLD)

फैटी लिवर के लक्षण:-

-थकान

-भारीपन का अनुभव

-पेट में दर्द या सूजन

-असामान्य पेट या आंतों के संबंधित समस्याएं

-पेट में गैस या बदहजमी

-उल्टी या उल्टी की इच्छा

-चक्कर आना या भ्रम

-खून की कमी

-त्वचा में खुजली या सूखापन

-मसूड़ों के संबंधित समस्याएं, जैसे खून का बहना, सूजन या दर्द

अगर फैटी लिवर स्टेज वन में है तब लाइफस्टाइल में बदलाव कर 30% से 40% तक कंट्रोल किया जा सकता है.

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