How Much Will It Cost To Send A Bottle Of Water To The Moon Chandrayaan 3 Landing
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चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग पर सिर्फ भारत के लोगों की ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया की नजर है. इस मिशन में भारत ने कुल 615 करोड़ रुपये खर्च किए हैं. वहीं दूसरे देश ऐसे मिशन के लिए और ज्यादा पैसा खर्च करते हैं. जबकि, अगर कोई देश चांद पर किसी इंसान को या कोई सामान भेजना चाहता है तो यह खर्च और भी ज्यादा बढ़ जाता है. आज हम आपको बताएंगे कि अगर कोई चांद पर एक बोतल पानी भेजना चाहे तो उसके लिए उसे कितने पैसे खर्च करने पड़ सकते हैं.
चांद पर किसी चीज को भेजना का खर्च?
चांद पर किसी इंसान को भेजने का खर्च इतना ज्यादा है कि साल 1972 के बाद आज तक किसी इंसान को चांद पर भेजने की कोशिश नहीं हुई. आखिरी बार यूजीन सेरनन ही चांद की सतह तक पहुंचे थे. अब आते हैं कि किसी इंसान को चांद की सतह पर पहुंचाने के लिए कितना खर्च आ सकता है. दरअसल, जब अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप थे, तब अमेरिका ने प्लान किया था कि वह चांद पर एक बार फिर इंसान को भेजेगा. हालांकि, इसके लिए जब खर्चे का अनुमान निकाला गया तो वह 104,000 अमेरिकी डॉलर निकला. भारतीय रुपये में ये करीब 86,29,779.60 होगा. इतनी लागत देख कर अमेरिका के भी पसीने छूट गए और उसने इस मिशन को ठंडे बस्ते में डाल दिया.
अब सवाल उठता है कि ये तो इंसान को चांद पर भेजने का खर्च था, अगर पानी की एक बोतल भेजनी हो तो कितना खर्च आएगा. दरअसल, अभी तक ऐसा कोई प्रयोग किया नहीं गया है. लेकिन पानी को सही सलामत भेजने के लिए जिस तरह की सुरक्षा और तकनीत किसी स्पेस क्रॉफ्ट में लगेगी वो चांद पर किसी इंसान को भेजने जैसा ही होगा. हो सकता है उससे थोड़ा कम खर्च हो, लेकिन फिर भी वो इतना ज्यादा होगा कि भारत के दो बड़े बिजनेसमैन अडानी-अंबानी की पूरी संपत्ति भी इसके लिए कम पड़ जाएगी.
क्या चांद पर पैरों के निशान कभी नहीं मिटते?
वैज्ञानिकों का इस सवाल पर कहना है कि चांद की मिट्टी चट्टानों के छोटे-छोटे टुकड़ों से बनी है. इसलिए जब चांद पर जाने वाले लोगों के पैरों के निशान चांद की सतह पर बनते हैं तो वो इतनी जल्दी नहीं मिटते. वैज्ञानिक मानते हैं कि कई बार ये निशान हजारों साल तक ऐसे ही बने रह सकते हैं. यानी अब तक जितने भी एस्ट्रोनॉट्स ने चांद की सतह पर अपने कदम रखे होंगे वो आज भी वैसे ही मौजूद होंगे.
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