Haldwani Encroachment Case: Railways Ministry Filed Affidavit In Supreme Court, Said- No Provision For Rehabilitation Or Compensation – हल्द्वानी अतिक्रमण मामला : रेल मंत्रालय का सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा – पुनर्वास या मुआवजे का प्रावधान नहीं
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इस मामले की सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट में नई पीठ का गठन होगा. (फाइल)
नई दिल्ली :
हल्द्वानी में रेल विभाग के दावे वाली 29 एकड़ जमीन से अतिक्रमण हटाने के मामले में रेल मंत्रालय ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया है. रेल मंत्रालय ने अपने हलफनामे में कहा है कि रेलवे की भूमि पर अतिक्रमण के बदले पुनर्वास या मुआवजा मुहैया कराने की कोई नीति या प्रावधान नहीं है. रेलवे ने उत्तराखंड में गौला नदी के किनारे अतिक्रमण के मामले में पुनर्वास या मुआवजा देने से इनकार कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हलफनामे के जरिए रेलवे ने कहा कि नैनीताल में उत्तराखंड हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट आए याचिकाकर्ताओं ने अपनी याचिका में भी पुनर्वास की कोई मांग नहीं की है. ऐसे में पुनर्वास या मुआवजे का मसला ही नहीं है.
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हाईकोर्ट ने गौला नदी में अवैध खनन के मद्देनजर जुलाई 2008 में सुनवाई शुरू की थी. रेलवे का पक्ष जानने के बाद हाईकोर्ट ने रेलवे भूमि से अतिक्रमण हटाने का आदेश दिया था. उस वक्त यह भी कहा गया कि राजस्व के भारी नुकसान के बावजूद राज्य सरकारों के प्राधिकार रेलवे भूमि से अतिक्रमण हटाने में सहायता नहीं करते हैं. सिर्फ उत्तराखंड में रेलवे की 4,365 हेक्टेयर भूमि पर लोगों का अवैध कब्जा है, जबकि यूपी-बिहार में 25648.15 हेक्टेयर भूमि पर यह अवैध कब्जे की स्थिति है. रेलवे को भविष्य की परियोजनाओं के मद्देनजर हरेक अतिक्रमण या गैरकानूनी कब्जा हटाने की जरूरत है क्योंकि रेलवे को विकास और विस्तार के लिए अपनी जगह वापस चाहिए. साथ ही रेलवे ने कहा था कि जनहित में अतिक्रमण हटाना जरूरी है, अन्यथा भविष्य में यह रेल यात्रियों की परेशानी का कारण बन जाएगा.
रेलवे ने कहा कि हल्द्वानी में गौला नदी के डूब क्षेत्र से यात्रियों की सुरक्षा के मद्देनजर अतिक्रमण हटाना जरूरी है, अन्यथा भविष्य में यह यात्रियों के लिए खतरे का कारण बनेगा. नजूल के प्रावधानों के मुताबिक, संबंधित भूमि पर अतिक्रमण या अवैध कब्जे पर ढांचा खड़ा करने का हक किसी नागरिक को नहीं है. सुप्रीम कोर्ट को मामले पर दायर याचिका खारिज करनी चाहिए क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने ही अपने पूर्व के फैसलों में कहा है कि अवैध कब्जे तत्काल हटाए जाने चाहिए, यही जनहित में है. इन दलीलों, तर्कों और तथ्यों के मद्देनजर रेलवे ने अपील की कि सुप्रीम कोर्ट को अतिक्रमण हटाने पर लगाई गई रोक का आदेश वापस लेना चाहिए.
सोमवार को सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस सुधांशु धूलिया ने खुद को सुनवाई से अलग कर लिया था. अब इस मामले की सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट में नई पीठ का गठन होगा.
बीती पांच जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने बनभूलपुरा में 4000 से ज्यादा घरों और सामाजिक, शैक्षिक और संस्थाओं की इमारतों पर बुलडोजर चलाने की योजना पर रोक लगाई थी. याचिका में कहा गया कि रेलवे स्टेशन के पास गौला नदी में अवैध खनन हो रहा है. याचिका में कहा गया है कि अवैध खनन की वजह से ही 2004 में नदी पर बना पुल गिर गया था. रेलवे ने सन 1959 का नोटिफिकेशन, 1971 का रेवेन्यू रिकॉर्ड और 2017 का लैंड सर्वे दिखाकर कहा कि यह जमीन रेलवे की ही है, इस पर अतिक्रमण किया गया है.
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