Bihar Cast Survey Transgender Different Cast Plea Rejected By Supreme Court – ट्रांसजेंडर कोई जाति नहीं: अलग जाति में शामिल करने की मांग वाली याचिका SC ने की खारिज
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सुप्रीम कोर्ट
नई दिल्ली:
बिहार में जातिगत सर्वे का मामला आज सुप्रीम कोर्ट (Bihar Caste Census) में पहुंचा.सर्वे में ट्रांसजेंडर को अलग जाति बताने की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई से इनकार कर दिया. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ट्रांसजेंडर कोई जाति नहीं है. इनको अलग जाति बताना संभव नहीं हो सकता. कोर्ट ने कहा कि ट्रांसजेंडर्स के साथ अलग व्यवहार किया जा सकता है और कुछ लाभ दिए जा सकते हैं लेकिन एक अलग जाति के रूप में नहीं. बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में बिहार सरकार द्वारा ‘हिजड़ा’, ‘किन्नर’, ‘कोठी’ और ‘ट्रांसजेंडर’ को जाति सूची में शामिल करने के खिलाफ याचिका दायर की गई थी. याचिकाकर्ता की मांग थी कि इसको अलग जाति में शामिल किया जाए, जिस पर सुनवाई से कोर्ट ने इनकार कर दिया.
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बिहार सरकार के फैसले को चुनौती
जस्टिस संजीव खन्ना की बेंच ने कहा कि वह इस याचिका पर सुनवाई नहीं करेंगे. बता दें कि बिहार जातिगत जनगणना प्रक्रिया में ट्रांसजेंडर समुदाय को ‘लिंग’ की श्रेणी के बजाय ‘जाति’ के रूप में वर्गीकृत करने के बिहार सरकार के फैसले को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई थी. याचिका में कहा गया था कि जाति के रूप में ट्रांसजेंडर समुदाय के गलत वर्गीकरण के परिणामस्वरूप इस समुदाय के खिलाफ भेदभाव हुआ है.
याचिकाकर्ता ने किया ये दावा
याचिका में दावा किया गया था कि राज्य सरकार ने जाति कोड सूची के तहत क्रम संख्या 22 पर हिजड़ा, किन्नर, कोठी, ट्रांसजेंडर (तीसरे लिंग) को एक अलग जाति कोड के रूप में वर्गीकृत किया है और उन्हें लिंग की श्रेणी के तहत वर्गीकृत नहीं किया है.याचिकाकर्ता ने दावा किया था कि बिहार सरकार के पास तीसरे लिंग को एक अलग जाति के रूप में वर्गीकृत करने की कोई शक्ति नहीं है. जाति सर्वेक्षण ट्रांसजेंडर व्यक्ति (अधिकारों का संरक्षण) अधिनियम, 2019 की धारा 8 के दायरे से बाहर है, जो उपयुक्त सरकार को ट्रांसजेंडर समुदाय के व्यक्तियों के कल्याण के लिए कदम उठाने के लिए बाध्य करता है.
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