Bees Become Border Soldiers Will Help BSF In Stopping Infiltration And Smuggling – सरहद की सिपाही बनीं मधुमक्खियां, घुसपैठ और तस्करी रोकने में ऐसे करेंगी बीएसएफ की मदद

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सरहद की सिपाही बनीं मधुमक्खियां, घुसपैठ और तस्करी रोकने में ऐसे करेंगी बीएसएफ की मदद

नई दिल्ली:

मधुमक्खियां अब सरहद की सिपाही बन गई हैं. भारत-बांग्लादेश इंटरनेशनल बॉर्डर पर ये बीएसएफ की मदद करेंगी. मधुमक्खियां घुसपैठ और तस्करी रोकने में सहायता करेगी. भारत-बांग्लादेश की सीमा 4096 किलोमीटर लंबी है. वहीं पश्चिम बंगाल से 2217 किलोमीटर लगती है. पश्चिम बंगाल के नादिया जिले में बीएसएफ ने ये अनूठा प्रयोग किया है. 

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वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम के तहत बीएसएफ की 32 बटालियन ने ये प्रयोग शुरू किया है. स्थानीय लोगों की मदद से बाड़ के पास मधुमक्खी पालन का काम किया जा रहा है. इससे घर बैठे लोगों को रोजगार भी मिल रहा है. आयुष मंत्रालय की सहायता से छत्ते लगाए जा रहे हैं. ऐसे पौधे और फूल लगाए जा रहे हैं कि जिससे मधुमक्खी प्रचुर मात्रा में परागण कर सके.

इन मधुमक्खियों से जो शहद निकलेगा, वो बीएसएफ के माध्यम से बेचा जाएगा. मुनाफा में लोकल लोगों को फायदा मिलेगा. जब भी अवैध घुसपैठ करेगा या बाड़ काटेगा, तो मधुमक्खियां उन पर जानलेवा हमला कर देंगी. 

दुनिया में पहली बार ऐसा प्रयोग हो रहा है. जब मधुमक्खी बॉर्डर की सिपाही बन रही हैं.

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