Antarctica Called The Refrigerator Of The Earth Danger Is Increasing Due To Melting Ice Climate Change
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Refrigerator Of The Earth: दुनियाभर के देश भले ही अंतरिक्ष में तमाम ग्रहों पर जीवन की तलाश में जुटे हों, लेकिन अब तक ऐसा कोई भी ग्रह नहीं मिल पाया है जो पृथ्वी जितना सुरक्षित हो. इसके अलावा किसी भी ग्रह पर अब तक जीवन के पुख्ता सबूत भी नहीं मिल पाए हैं. पृथ्वी का तापमान और वातावरण ऐसा है, जिसमें इंसान समेत तमाम जीव आसानी से जी सकते हैं. हालांकि पिछले कुछ सालों से हो रहे क्लाइमेट चेंज के चलते धरती पर भी खतरा मंडरा रहा है. हाल ही में अंटार्कटिक को लेकर जो रिपोर्ट्स सामने आई हैं, वो काफी चिंता वाली हैं. जिसमें बताया जा रहा है कि यहां मौजूद बर्फ लगातार पिघल रही है. आज हम आपको यही बताएंगे कि अंटार्कटिक में बर्फ होना कितना जरूरी है और इसे धरती का फ्रिज क्यों कहा जाता है.
बर्फ की चादर से घिरा महाद्वीप
अंटार्कटिक का अपना ही वेदर सिस्टम है. ये पूरी तरह से बर्फ से घिरा हुआ है. बर्फ की मोटी परत से ये महाद्वीप ढका हुआ है. पिछले कुछ सालों से बर्फ की चादर से ढके इस महाद्वीप को लेकर वैज्ञानिकों की चिंता बढ़ती जा रही है. क्योंकि ये बर्फ की चादर लगातार पतली और छोटी होती जा रही है. क्लाइमेंट चेंज को ही इसका कारण बताया जा रहा है.
बीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक इस साल समुद्री सतह के तापमान ने पिछले सभी रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं. अंटार्कटिक में अगर बर्फ इसी तरह से पिघलती रही तो इसका असर पूरी दुनिया पर पड़ सकता है.
क्यों कहा जाता है धरती का रेफ्रिजिरेटर?
समुद्री बर्फ काफी अहम होती है, क्योंकि ये किसी शीशे की तरह काम करती है. जिससे आने वाली सौर ऊर्जा रिफ्लेक्ट होती है. इससे पूरी दुनिया की जलवायु पर असर पड़ता है. यानी गर्मी को कम करने के लिए ये काफी अहम होती है. अगर समुद्री बर्फ पूरी तरह से खत्म हो जाती है तो ठंड कम होगी और भीषण गर्मी से धरती पर जीवन खतरे में भी पड़ सकता है. इसीलिए अंटार्कटिक को धरती का रेफ्रिजिरेटर भी कहा जाता है. बिना इसके धरती का तापमान लगातार बढ़ने लगेगा. यही वजह है कि वैज्ञानिक लगातार इस खतरे को रोकने की कोशिश में जुटे हैं.
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