Amazing Research: अब पेड़ बताएंगे, पृथ्वी पर कब आएगा अगला सौर तूफान, वैज्ञानिकों ने खोज निकाला तरीका
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पृथ्वी पर सौर तूफान कब आएगा इसका अनुमान कैसे लगाया जा सकता है. सूर्य की लगातार निगरानी कर उसके चक्रों का अध्ययन हमें बता सकता है कि आने वाले समय में सूर्य पर सौर तूफान पैदा करने वाली गतिविधियां कब होगी. इन सौर तूफानों के पृथ्वी की चीजों पर गहरे असर होते हैं. वैज्ञानिकों ने एक स्टडी में पाया है कि पेड़ वैज्ञानिकों को यह बता सकते हैं कि अगली बार बहुत ही विशालकाय सौरतूफान कब आएगा.
1859 की कैरिंगटन घटना एक शक्तिशाली भू-चुंबकीय तूफान था जो 1-2 सितंबर, 1859 को आया था. उस घटना के दौरान, तूफान से ठीक पहले एक प्रमुख सौर ज्वाला देखी गई थी. इससे भारी मात्रा में उत्सर्जित ऊर्जा से आवेशित कणों का एक विशाल विस्फोट हुआ. इन कणों का पृथ्वी के मैग्नेटोस्फीयर के साथ संपर्क होने पर एक प्रचंड भू-चुंबकीय तूफान पैदा हुआ था.
अब, हेलसिंकी विश्वविद्यालय द्वारा समन्वित एक अध्ययन में लैपलैंड के पेड़ों के भीतर छिपी एक खोज का खुलासा हुआ है. इस खोज ने 165 साल पहले पृथ्वी पर आने वाले सबसे बड़े सौर तूफानों में से एक के बारे में सुराग दिया है, जो 1859 की कैरिंगटन घटना ही थी. यह अध्ययन जियोफिजिकल रिसर्च लेटर्स जर्नल में प्रकाशित हुआ था.

सूर्य से आने वाले शक्तिशाली तूफान के असर पेड़ों में लंबे समय के लिए असर छोड़ जाते हैं. (प्रतीकात्मक तस्वीर: Shutterstock)
इसमें शोधकर्ताओं ने 1859 की घटना के बाद पेड़ के छल्लों के भीतर रेडियोकार्बन की मात्रा में वृद्धि का पता लगाया. निष्कर्षों ने ऐसे भविष्य के सौर तूफानों की तैयारी के लिए महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान की है. लैपलैंड में पेड़ के छल्लों का विश्लेषण करके शोधकर्ताओं ने कैरिंगटन तूफान से जुड़े रेडियोकार्बन स्तर में वृद्धि की पहचान की.
इस खोज से सौर गतिविधि और पृथ्वी के वायुमंडल पर इसके प्रभाव के बारे में एक महत्वपूर्ण सुराग का पता चला और साथ ही इससे भविष्य में ऐसे तूफान कब आएंगे, इसका अनुमान लगाया जा सकेगा. अध्ययन की अगुआई करने वाले हेलसिंकी विश्वविद्यालय के क्रोनोलॉजी लैबोरेटरी के निदेशक, मार्ककु ओइनोनेन ने बताया कि रेडियोकार्बन एक ब्रह्मांडीय मार्कर की तरह है जो पृथ्वी, सौर मंडल और बाहरी अंतरिक्ष से जुड़ी घटनाओं का वर्णन करता है.
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आधुनिक समाज की तैयारियों के लिए सौर तूफानों का मैप बनाना और उनके बार बार आने को समझना अहम है. जहां छोटे तूफानों की नियमित रूप से उन्नत तकनीक से निगरानी की जाती है, कैरिंगटन तूफान जैसी मध्यम आकार की घटनाएं अपनी दुर्लभता के कारण चुनौती पेश करती हैं.
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FIRST PUBLISHED : April 7, 2024, 07:56 IST
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