190 वर्ष का इतिहास समेटे हुए है गोपाल मंदिर अपने नए स्वरूप में लोगों को कर रहा आकर्षित

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मेघा उपाध्याय/इंदौर : इंदौर का प्रसिद्ध गोपाल मंदिर बीते 190 वर्ष से राधा कृष्ण की भक्ति की गाथा सुना रहा है. मंदिर का निर्माण कृष्णा बाई होलकर ने करवाया था और तभी से यह आस्था का केंद्र है.

ऐसा माना जाता है कि इस मंदिर में जो भी अपनी मनोकामनाओं को लेकर आता है वह कभी भी खाली हाथ नहीं जाता, भगवान कृष्ण और राधा रानी हमेशा उनकी इच्छाओं को पूर्ण करते है और सदैव उनके साथ रहते है.

80,000 रुपए की लागत से बना था मंदिर

मंदिर का निर्माण पत्थर और लकड़ी से किया गया जो कि आज भी ठोस और मजबूत है , अगर हम मंदिर के इतिहास की बात करें तो इसका निर्माण सन 1832 में राजा यशवंतराव होलकर ( प्रथम ) की पत्नी श्रीमती कृष्णा बाई होलकर ने करवाया था, उन्होंने शादी से पूर्व एक शर्त रखी थी जिसमें श्री कृष्ण का मंदिर रियासत में होने की बात कही और उसी के चलते मात्र 80,000 रुपए की लागत से यह मंदिर बनकर तैयार हुआ था.

सागवान की लकड़ी का हुआ है इस्तेमाल

सागवान की लकड़ी और पत्थर से बने इस मंदिर को राजपूती और मराठा निर्माण शैली को आपस में मिलाकर आकार दिया गया. जब मंदिर बनकर तैयार हो गया तो इसकी मजबूती को परखने के लिए हाथियों से इसका परीक्षण करवाया गया और जब उस परीक्षा में यह मंदिर पास हो गया तब यहां पर श्री राधा और कृष्ण जी की मूर्ति की स्थापना की गई.

मंदिर के आसपास से हटाई गई दुकानें

आपको बता दें कि मंदिर के बाहर बीते कुछ सालों से छोटी-छोटी दुकानें हुआ करती थी जिस कारण मंदिर का प्रवेश द्वार पूरी तरह ढक चुका था और भीड़ होने के कारण पर्यटक भी यहां पर आने से घबराते थे लेकिन जब राजवाड़ा को स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट में शामिल किया गया तो साथ में इस मंदिर को भी पुनः निर्माण के लिए प्रोजेक्ट में शामिल किया और छोटे-मोटे बदलाव कर मंदिर को एक और नया रूप दिया और उसके साथ मंदिर के आसपास की भीड़ हटाने के लिए दुकानों को भी वहां से हटाकर नया स्थान दिया गया जिससे कि मंदिर की भव्यता लोगों तक पहुंच पाए.

बता दें जब प्रवासी सम्मेलन के दौरान यह मंदिर दर्शन के लिए वापस खोल दिया गया तभी से यहां पर लोगों का आना जाना लगा रहता है. साथ में यहां पर महाराष्ट्रीयन श्रावण के दौरान नारदीय कीर्तन भी आयोजित किया जाता है जिसमें कई लोग शामिल होकर कृष्ण भक्ति का यश गान गाते हैं.

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