10500 फीट की ऊंचाई पर बसे इस गांव में पहली बार बजी फोन की घंटी, खुशी से झूमे ग्रामीण

[ad_1]

पिथौरागढ़. उत्तराखंड के पिथौरागढ़ में चीन सीमा से लगे गांव अब विकास की मुख्यधारा से जुड़ने लगे हैं. इन इलाकों में धार्मिक पर्यटन की गतिविधियां बढ़ने के बाद सुविधाओं के विस्तार पर ध्यान दिया जा रहा है. सड़क के पहुंचने के बाद अब संचार से भी यहां के इलाके जुड़ने लगे हैं, जो यहां के लिए बेहद जरूरी भी है. पिथौरागढ़ की व्यास घाटी का गांव नाबी पहली बार संचार से जुड़ गया है. 10500 फीट की ऊंचाई पर स्थित नाबी गांव को इन दिनों होमस्टे विलेज के रूप में नई पहचान मिली है. यह आदि कैलाश यात्रा मार्ग का प्रमुख स्थान है. संचार से जुड़ने के बाद इसके आसपास के इलाकों को एक बड़ी राहत मिली है. नाबी गांव केंद्र सरकार की वाइब्रेंट विलेज योजना में भी शामिल है. संचार से जुड़ जाने के बाद यहां पर्यटकों को तो सुविधाएं होंगी ही, साथ ही स्थानीय लोग भी अब अपनी सूचनाएं आसानी से पहुंचा सकेंगे.

चीन सीमा से सटे माइग्रेशन ग्राम पंचायत नाबी में जब पहली बार फोन की घंटी बजी, तो स्थानीय लोग खुशी से उछल पड़े, क्योंकि संचार से जुड़ना उनके सपने के सच होने जैसा है. यहां को विषम परिस्थितियों में अभी तक स्थानीय लोगों को अपनी सूचनाएं पहुंचाने में काफी समय लग जाता था और बाहरी दुनिया से वह काफी दूर थे. संचार की सेवा मिलने के बाद सभी ने निचली घाटी में रह रहे अपने परिजनों से बात कर हालचाल जाना.

टेलीकॉम सेक्टर की निजी कंपनी जिओ ने नाबी गांव में संचार सुविधा शुरू कर दी है. इससे ग्रामीणों के साथ आदि कैलाश यात्री और सीमा सुरक्षा में लगे कार्मिकों को भी लाभ मिलेगा. संचार सुविधा होने पर नाबी की ग्राम प्रधान सनम नबियाल ने कहा कि अब आपदाकाल और अन्य आपातकाल में वह समय पर प्रशासन को सूचना दे पाएंगे, साथ ही पर्यटकों को भी यहां सुविधाएं मिलेंगी.

FIRST PUBLISHED : July 23, 2024, 24:24 IST

[ad_2]

Source link

x