सिनेमा का ऐसा सुपरस्टार जिसने रचे कई इतिहास, सबसे ज्यादा गायकों की बदली किस्मत, दिलचस्प है रिकॉर्ड

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dev anand सिनेमा का ऐसा सुपरस्टार जिसने रचे कई इतिहास, सबसे ज्यादा गायकों की बदली किस्मत, दिलचस्प है रिकॉर्ड

वैसे तो देव आनंद के नाम पर अभिनय और फिल्म निर्माण-निर्देशन के कई खिताब और पुरस्कार मौजूद हैं. लेकिन देव आनंद के नाम एक अजीब सा रिकॉर्ड और है. वो है हिंदी फिल्मों में सबसे ज़्यादा प्लेबैक सिंगर की आवाज लेने का. देव आनंद के हिट होने में उन पर फिल्माए गए गानों का बहुत बड़ा योगदान रहा है. उनकी ब्लैक एंड वाइट फिल्मों से लेकर कलर्ड फिल्मों तक के सफर में हमेशा किशोर कुमार याद आते हैं. मोहम्मद रफी याद आते हैं. देव आनंद के प्रिय संगीतकार एसडी बर्मन हों या आर डी बर्मन या फिर बप्पी लाहिरी हों. लेकिन ये बात बहुत कम लोगों को पता है कि देव आनंद ने अपनी आखिरी फिल्म तक करीब करीब एक दर्जन सिंगर्स की आवाज इस्तेमाल की है. आइये देखते हैं.

देव आनंद की पहली फिल्म थी प्रभात फिल्म कंपनी की ‘हम एक हैं’. इस फिल्म के संगीतकार थे हुस्नलाल भगतराम. फिल्म में तीन गाने थे लेकिन देव आनंद के लिए किसी गायक के स्वर का इस्तेमाल नहीं किया गया था, बल्कि अधिकांश गाने जोहराबाई अम्बालेवाली और अमीरबाई कर्नाटकी की आवाज में थे. इसके बाद देव आनंद ने मोहन नाम की फिल्म में काम किया जिसमें ‘मेरे जीवन में आयी बहार’ और ‘कब तक मेरे भगवन’ नाम के दो गीत में उन्होंने जवाहर कॉल नामक सिंगर की आवाज ली थी. अगली फिल्म आगे बढ़ो में मोहम्मद रफी ने पहली बार देव आनंद के लिए गाना गाया था- ‘सावन की घटाओं धीरे आना’ जो खुर्शीद के साथ गाय उनका डुएट था.

1948 के बाद देव आनंद की जिंदगी में परिवर्तन की लहार सी चल पड़ी थी. सुरैया के साथ उनकी पहली फिल्म ‘विद्या’ रिलीज हुई जिसमें उन दोनों को आपस में प्रेम हुआ और मुकेश ने देव आनंद को प्लेबैक दिया. ‘लाई खुशी की दुनिया हंसती हुई जवानी’ नाम के गाने में. इसी साल देव की एक और फिल्म रिलीज हुई जिसने उन्हें स्टार बना दिया, वो थी ‘ज़िद्दी’. खेमचंद्र प्रकाश के संगीत से सजी इस फिल्म में ज्यादातर गाने लता की आवाज में थे लेकिन दो गाने ऐसे थे जो किशोर कुमार ने गाये थे. देव के लिए उनका पहला प्लेबैक और ये गाने सुपर हिट हुए थे-ये कौन आया रे करके सोलह सिंगार (किशोर-लता) और सबसे मक़बूल, किशोर का सोलो जो उन्होंने अपने गुरु कील सहगल की आवाज में गाय था-मरने की दुआएं क्यों मांगूं, जीने की तमान्ना कौन करे. देव-सुरैया की जोड़ी की एक और फिल्म थी जीत, जिसमें शंकर दासगुप्ता ने देव के लिए गाया था-‘चाहे कितनी कठिन डगर हो’.

इसके अलावा एसडी बर्मन के असिस्टेंट जगमोहन बक्शी (संगीतकार जोड़ी सपन-जगमोहन वाले), उन्होंने ने भी देव के लिए सुपरहिट फिल्म टैक्सी ड्राइवर में गाया था-‘देखो माने नहीं रूठी हसीना’. सुप्रसिद्ध संगीतकार और गायक हेमंत कुमार भी देव आनंद की आवाज बने- ‘है अपना दिल तो आवारा’- फिल्म सोलहवां साल. हेमंत कुमार ने कुछ और गाने भी गाये देव आनंद के लिए जैसे याद किया दिल ने कहां हो तुम, ये रात ये चांदनी फिर कहां इत्यादि. हेमत कुमार से मिलती जुलती आवाज़ वाले दो गायक और हुए हैं. पहले हैं सुबीर सेन, जिन्होंने देव के लिए ‘फिर एक बार कहो’ जैसा लाजवाब गाना गाया है और दूसरे हेमंत कुमार क्लोन थे द्विजेन मुखर्जी जिन्होंने देव को प्लेबैक दिया था ‘ऐ दिल कहां तेरी मंजिल’ गाने में. देव की किस्मत देखिये उन्हें न सिर्फ सी रामचंद्र के म्यूजिक से सजी फिल्म में काम करने का मौका मिला बल्कि 1956 की फिल्म बारिश में सी रामचंद्र जो चितलकर नाम से गाते थे, उन्होंने देव के लिए गाया-‘दाने दाने पर लिखा है’.

वैसे तो तलत महमूद ने देव के लिए कमाल के गीत गाये हैं लेकिन ‘जाएं तो जाएं कहां, समझेगा कौन यहां’ के सामने किसी और गीत का जिक्र करना बेमानी लगता है. एक और तलत मेहमूद का गाया गीत- हैं सबसे मधुर वो गीत जिन्हें हम दर्द के सुर में गाते हैं. गीत लिखा तो हसरत जयपुरी और शैलेन्द्र ने है लेकिन दरअसल ये अंग्रेजी कवि पीबी शैली द्वारा लिखी कविता ‘टू द स्काईलार्क’ से प्रभावित है जिसमें उन्होंने लिखा है ‘आवर स्वीटेस्ट सांग्स आर दोस दैट टेल ऑफ़ सैडेस्ट थॉट्स’ वहीं मन्ना डे ने भी देव के लिए कई गाने गाये हैं. लेकिन काला बाजार का मस्ती भरा गाना ‘सांझ ढली दिल की काली थक गयी पुकार के’ कमाल लगता है. एसडी बर्मन के असिस्टेंट जयदेव के संगीत में मन्ना डे का गाया ‘चले जा रहे हैं, मोहब्बत के मारे’ भी देव पर फिल्माया गया था. इस गाने की धुन इतनी बार कॉपी हुई है कि इसके लिए अलग से लिखना पड़ेगा.

इसके अलावा कभी एक तो कभी दो गीतों या ज्यादा गीतों के लिए कभी कभी कुछ और सिंगर्स को भी चुना जाता रहा. जैसे मोहम्मद रफ़ी जिनको अपना आदर्श मानते थे- जीएम दुर्रानी ने देव के लिए गाया. अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त ब्रिटिश-आयरिश बैंड बीटल्स द्वारा अभिनीत फिल्म ‘हेल्प’ में विचित्र वीणा बजाने वाले सुप्रसिद्ध संगीतकार और गायक एसडी बातिश ने भी देव के लिए गाया. अपनी ऊंची आवाज़ के लिए जाने जाए वाले महेंद्र कपूर जब हिट नहीं हुए थे तब तक तो वो देव के लिए गए चुके थे. एक खास गायक का ज़िक्र करना ज़रूरी है वो है आरडी बर्मन के असिस्टेंट और एसडी बर्मन के साथ गिटार बजाने वाले भूपेंद्र सिंह. एसडी बर्मन की संगीतबद्ध फिल्म ‘ज्वेल थीफ’ में लता मंगेशकर के गाये ‘होठों में ऐसी बात में दबा के चली आयी’ के बीच में ‘ओ शालू’ की जो आवाज देव पर फिल्मायी गयी है वो भूपेंद्र सिंह की है.

संगीतकार एसडी बर्मन के गाये हुए कई सुपरहिट गाने हैं जो देव पर फिल्माए गए हैं. लेकिन वो बैकग्राउंड में बजते हैं, देव ने उन पर लिप सिंक नहीं किया. वहीं बप्पी लाहिरी की किस्मत थोड़ी बेहतर रही क्योंकि एसडी बर्मन और आरडी बर्मन के गुजर जाने के बाद, देव आनंद की फिल्मों में बप्पी लाहिरी ने काफी म्यूजिक दिया और आमिर खान के शुरुआती दौर की फिल्म, अव्वल नंबर में बप्पी की आवाज़ देव आनंद पर फिल्मायी गयी थी, गाना था – ये है क्रिकेट. इसके अलावा कुमार सानू के गए हुए एक दो गानों में देव साहब नजर आये. हिंदी फिल्मों में ऐसा शायद ही कोई हीरो हुआ होगा जिसकी आवाज़ के तौर पर मोहम्मद रफ़ी और किशोर कुमार दोनों हिट हुए लेकिन फिर भी ढेरों सिंगर्स को उनके लिए गाने का मौका मिलता रहा. देव आनंद की पारी में सभी तरह के शॉट्स का सम्मिश्रण रहा.

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