संतान प्राप्ति में आ रही है बाधा? नवरात्रि के 5वें दिन ऐसे करें स्कंदमाता की पूजा, जानें पूजन विधि और मंत्र
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विकाश पाण्डेय/सतना. हिन्दू धर्म में नवरात्रि का विशेष महत्त्व होता है. नवरात्रि में मां आदिशक्ति के नौ अलग – अलग रूपों का पूजन किया जाता है. नवरात्रि का पांचवा दिन मां स्कंदमाता को समर्पित होता है. लोकल 18 से बात करते हुए पण्डित पंकज त्रिपाठी ने बताया कि स्कंदमता के पूजन से निःसंतान दंपति को संतान की प्राप्ति होती है. स्कंदमाता अपने भक्तों को आरोग्यता प्रदान करती हैं. उनके कष्टों को दूर कर लौकिक सुख, समृद्धि प्रदान करती हैं. भगवान कार्तिकेय यानी स्कंद की माता होने के कारण इन्हें स्कंदमाता के नाम से जाना जाता है.
स्कंदमाता का स्वरूप
माता का स्वरूप अलौकिक है. मां की चार भुजाएं हैं. मां ने अपनी ऊपर वाली दांयी भुजा में बाल कार्तिकेय को गोद में उठाए हुए हैं और नीचे वाली दांयी भुजा में कमल पुष्प लिए हुए हैं. ऊपर वाली बाईं भुजा से इन्होंने जगत तारण वरद मुद्रा बना रखी है और नीचे वाली बाईं भुजा में कमल पुष्प है. मां को कमल का आसन अत्यन्त प्रिय हैं, इसीलिए कमल में विराजमान हैं. इन्हें पद्मासन देवी भी कहा जाता है. इनका वाहन शेर है.
ऐसे करें पूजा
स्कंदमाता करुणामई हैं. इनकी उपासना के लिए प्रातः उठकर पूजा स्थल की साफ सफाई कर लें. तत्पश्चात स्नान ध्यान कर साफ सुथरे वस्त्र धारण कर लें, अब आसन लेकर शांत मन में माता के सामने बैठ जाएं और फिर मां की स्तुति में लग जाएं. मां की प्रतिमा को गंगा जल से शुद्ध करें. इसके बाद कुमकुम, अक्षत, धूप, दीप, नैवेद्य सहित श्रृंगार इत्यादि का चढ़ावा चढ़ाएं, क्योंकि मां खाली गोद भर्ती हैं, इसलिए माता रानी की पूजा के समय लाल कपड़े में सोलह श्रृंगार का सामान और लाल फूल, पीले चावल और एक नारियल को बांधकर माता की गोद भर दें. माना जाता है कि इससे मां जल्द आपकी सूनी गोद भर्ती हैं. मां को खिले हुए पुष्प जैसे कमल, गुलाब, गेंदा इत्यादि अत्यन्त प्रिय हैं.
मां का रुचिकर भोग
स्कंदमाता को केले का भोग लगाएं और अनाज से बने खाद्य पकवान का भोग चढ़ाएं. यह माता को बहुत प्रिय है. मां को खीर और दूध से बने भोग भी अत्यंत प्रिय हैं.
स्कंद माता का पूजन मंत्र
1- सिंहासनगता नित्यं पद्माश्रितकरद्वया।
शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी।।
2- या देवी सर्वभूतेषु माँ स्कंदमाता रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
3-‘ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै’
(नोट – हमारे द्वारा दी गई सम्पूर्ण जानकारी पौराणिक मान्यताओं और धर्मगुरुओं के मार्गदर्शन मे लिखी गई हैं. इसमें किसी तरह की तथ्यात्मक चूक की जिम्मेदारी लोकल 18 की नहीं होगी )
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FIRST PUBLISHED : April 13, 2024, 05:21 IST
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