शिव शक्ति प्वाइंट: जहां उतरा भारत का चंद्रयान-3, चंद्रमा का वह इलाका 3.7 अरब साल पुराना, ISRO की खोज
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Chandrayaan-3 Moon Landing: भारत का चंद्रयान-3 चंद्रमा के जिस इलाके में उतरा था, वह लगभग 3.7 बिलियन साल पुराना है. ISRO की एक स्टडी में यह बात सामने आई है.

ISRO के वैज्ञानिकों ने चंद्रयान-3 की लैंडिंग साइट का एनालिसिस किया.
हाइलाइट्स
- भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के वैज्ञानिकों की बड़ी खोज.
- चंद्रयान-3 की लैंडिंग साइट वाले इलाके की उम्र का पता लगाया.
- 3.7 बिलियन साल पुराना है एरिया, तभी धरती पर पनपा था जीवन.
ISRO Chandrayaan-3 Study: भारत के चंद्रयान-3 मिशन ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सफल लैंडिंग कर इतिहास रचा था. उसकी लैंडिंग साइट को अब ‘शिव शक्ति प्वाइंट’ के नाम से जाना जाता है. इसरो के वैज्ञानिकों की नई स्टडी के अनुसार, लैंडिंग साइट वाले इलाके की उम्र लगभग 3.7 अरब साल आंकी गई है. दिलचस्प बात यह है कि इसी कालखंड में पृथ्वी पर सबसे प्राचीन माइक्रोबियल जीवन विकसित हुआ था. इसरो के फिजिकल रिसर्च लेबोरेटरी (PRL), अहमदाबाद की वैज्ञानिक टीम ने मॉर्फोलॉजिकल और टोपोग्राफिक एनालिसिस कर यह निष्कर्ष निकाला है.
इसरो ने कैसे पता लगाई उम्र?
लूनर रिकॉनिसेंस ऑर्बिटर (LRO) के वाइड-एंगल कैमरा और टेरेन कैमरा का इस्तेमाल कर क्रेटर और चट्टानों की स्टडी कीर गई. 25 क्रेटर्स (500-1,150 मीटर व्यास के) का एनालिसिस कर लैंडिंग साइट की उम्र 3.7 अरब साल आंकी गई. आसपास के रग्ड टेरेन और हाई-रिलीफ स्मूथ प्लेन्स में 23 और 5 क्रेटर्स की स्टडी से भी इसी उम्र की पुष्टि हुई. इसरो वैज्ञानिकों के अनुसार, चंद्रमा की सतह माइक्रो-मेटियोराइट बमबारी और तापीय उतार-चढ़ाव के कारण निरंतर परिवर्तित होती रहती है. लाखों वर्षों में यह चट्टानें टूटकर रेगोलिथ में बदल गई हैं.
लैंडिंग साइट के आसपास कई क्रेटर्स
शिव शक्ति प्वाइंट तीन बड़े प्रभाव क्रेटर्स (Impact Craters) से घिरा हुआ है:
- मैनजिनस क्रेटर (96 किमी व्यास, उम्र 3.9 अरब साल, उत्तर में स्थित)
- बोगुस्लाव्स्की क्रेटर (95 किमी व्यास, उम्र 4 अरब साल, दक्षिण-पूर्व में स्थित)
- शॉमबर्गर क्रेटर (86 किमी व्यास, उम्र 3.7 अरब साल, दक्षिण में स्थित)

चंद्रयान-3 की लैंडिंग साइट के उत्तर में Manzinus क्रेटर है, दक्षिणपूर्व में Boguslawsky और दक्षिण में Schomberger क्रेटर है. (Photos : PRL)
PRL वैज्ञानिकों का कहना है कि इन बड़े क्रेटर्स के प्रभाव से विशाल मात्रा में मलबा चारों ओर फैला होगा, जिससे लैंडिंग साइट का भूगोल आकार ले चुका है. प्रज्ञान रोवर ने चंद्रमा की सतह पर कई चट्टानों की पहचान की, जिनमें से कुछ 1 सेमी से बड़े थे. एक फ्रेश क्रेटर, जो लैंडिंग साइट से 14 किमी दक्षिण में है, के पास सबसे अधिक चट्टानों की मात्रा पाई गई.
इस क्षेत्र में स्पेस वेदरिंग का प्रभाव अपेक्षाकृत कम था, जिससे संकेत मिलता है कि यह क्रेटर अपेक्षाकृत नया हो सकता है. 9.1% (5,764 में से 525) चट्टानें 5 मीटर से अधिक लंबी थीं, और इनमें से 428 चट्टानें इसी फ्रेश क्रेटर के पास मिलीं. लैंडिंग क्षेत्र की सबसे बड़ी दो चट्टानें (17 मीटर से अधिक लंबी) इसी फ्रेश क्रेटर के पास देखी गईं.
New Delhi,Delhi
February 09, 2025, 07:46 IST
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