राम भक्त रोबोटिक सांइटिस्ट, इस काम के लिए छोड़ी भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर की नौकरी, शार्क टैंक भी प्रभावित

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सतना: आज के समय में हर मां-बाप अपने बेटे को इंजीनियर, डॉक्टर या साइंटिस्ट बनना देखना चाहते हैं. लेकिन, एक शख्स ऐसा भी है, जिसने अच्छी-खासी साइंटिस्ट की नौकरी छोड़ दी और रसोई चालू कर दी. भाभा इंटरनेशनल एटॉमिक रिसर्च सेंटर मुंबई से रोबोटिक साइंटिस्ट की नौकरी छोड़ कर आए डॉ. कमल शर्मा ने श्रीराम वल्लभा रसोई की शुरुआत की. अब वह भक्तों को शुद्ध भोजन कराते हैं. खुद भी भगवान राम के बड़े भक्त हैं.

डॉ. कमल शर्मा ने बताया कि हमारे सतना-चित्रकूट क्षेत्र का इतिहास त्रेता युग से रामजी से जुड़ा हुआ है. उसी चित्रकूट में देश-विदेश से लोग आते हैं. लेकिन, यहां खानपान के लिए चीनी फूड आइटम्स और घटिया फास्ट फूड परोसे जाते हैं, जिसके चलते उन्होंने यह निर्णय लिया कि चित्रकूट के मूल स्वरूप, उसके पावन माहौल को बचाए रखने के लिए घर से जुड़े असली और शुद्ध पकवान वो लोगों को खिलाएंगे. इसके लिए उन्होंने स्टॉल भी लगाया है.

सतना में शार्क टैंक से मिली प्रेरणा
मध्य प्रदेश में पहली बार आयोजित हुए शार्क टैंक में जो सतना के इन्क्यूबेशन सेंटर में आयोजित हुआ था, यहां डॉ. कमल से प्रोत्साहित होकर उनके व्यापार को आगे बढ़ाने के लिए धनराशि दी गई. यह उनके लिए बड़ा सहयोग साबित हुआ. इस धनराशि का पूरा इस्तेमाल उन्होंने व्यापार को आगे बढ़ाने में किया. चित्रकूट में ही तीन और स्थानों में श्रीराम वल्लभ रसोई को खोलने की योजना है. साथ ही, श्रीराम से जुड़े आसपास के स्थान जैसे अयोध्या, खजुराहो, उज्जैन में भी श्रीराम वल्लभ रसोई को ले जाना चाहते हैं.

श्रीराम वल्लभ रसोई की खासियत
डॉ. कमल की श्रीराम वल्लभ रसोई की विशेषता है कि यहां केवल शुद्ध और स्वास्थ्यवर्धक भोजन ही परोसा जाता है. उन्होंने यह सुनिश्चित किया कि हर व्यंजन पारंपरिक भारतीय रसोई की गुणवत्ता और स्वाद के साथ तैयार हो. यह रसोई न केवल भक्तों और पर्यटकों को स्वादिष्ट भोजन प्रदान करती है, बल्कि स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के अवसर भी उपलब्ध कराती है.

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