मिलिए इस नन्हें उस्ताद से, तबले का है जादूगर, 11 वर्ष की आयु में कर चुके हैं बडे कारनामे…-Meet this little maestro, he is a magician of the tabla, has done great feats at the age of 11…

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गया-बिहार के गया जिले के रहने वाले 11 वर्षीय शाश्वत तबला वादन करते हैं और इस उम्र में तबला वादन के क्षेत्र में इन्होंने अपनी एक अलग पहचान बनाई है. शाश्वत जब 2 वर्ष के थे तो उन्होंने तबला पर हाथ रखना शुरू कर दिया था. 4 वर्ष की उम्र में इन्होंने तबला बजाना शुरू किया और आज बिहार झारखंड में कई कार्यक्रम में तबला बजाते हैं जिन्हें सुनकर सभी मंत्र मुग्ध हो जाते हैं. विश्व विख्यात बौद्ध महोत्सव में भी तबला बजाने का अवसर इन्हे मिल चुका है. इन्होंने बौद्ध महोत्सव में अकेले ही तबला वादन कर लोगों को मंत्र मुग्ध कर दिया था.

शाश्वत को तबला बजाने की शिक्षा विरासत से मिला है. इनके पिताजी, दादाजी तथा परदादाजी भी तबला बजाते थे. नन्हें तबला वादक शाश्वत की उंगलियां तबले पर ऐसे नाचती है, जैसे वह तबले का कोई जादूगर हो. तबले पर इनकी जब उंगलियां थिरकती है, तो लोग आश्चर्यचकित हो जाते हैं. छोटी उम्र मे ही तबला वादन की विद्या में पूरी तरह से पारंगत हो चुके है. शाश्वत अपने पूर्वजों के तबला वादन परंपरा को आगे बढ़ने का काम कर रहे है. परदादा गोखुल जी, दादा वासुदेव जी एक कुशल तबला वादक हुए और उनकी तबला वादन परंपरा को जीवित रखने के लिए11वर्षीय शाश्वत कुशलता से तबला वादन की शिक्षा ले रहे है.

लगभग दो-ढाई वर्ष के उम्र में ही तबला की शिक्षा के प्रति लगाव होने के कारण प्रसिद्ध संगीताचार्य गुरु कामेश्वर पाठक ने शाश्वत पर हाथ रखा था. शाश्वत के प्रथम गुरु कामेश्वर पाठक रहे. वहीं, सुप्रसिद्ध पखावज वादक पंडित आशुतोष उपाध्याय, पिता राजेश कुमार, दादा वासुदेव जी, पंडित राम गोपाल, पंडित दिनेश कुमार, पंडित सतीश शर्मा रांचीव अन्य गुरुओं से तबला वादन और संगत करने की शिक्षा मिली है. वर्तमान समय में भी सुप्रसिद्ध अंतराष्ट्रीय तबला वादक उस्ताद सलीम अल्लाह वाले भोपाल और उस्ताद शादाब शाकोरी मुंबई से तबला वादन करने की शिक्षा ले रहे हैं.

शाश्वत बताते है कि उन्हे बौद्ध महोत्सव में अपना जौहर दिखाने का मौका चुका है. अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध महोत्सव के मंच पर 5 वर्ष की उम्र में तबला सोलो बजाने का अवसर मिला. बिहार सरकार बाल भवन किलकारी,जगन्नाथ महोत्सव, बोधगया बैजनाथ धाम, बासुकीनाथ धाम झारखंड के मंच पर तबला सोलो और सुप्रसिद्ध गायक पंडित सतीश शर्मा जी के साथ संगत में तबला बजा चुके हैं. यह तबला की कला से समाज सेवा करना चाहते हैं. हालांकि उसकी इच्छा आईएएस बनने की भी है. वह कहते है कि तबला वादन के साथ-साथ पढ़ाई पर भी ध्यान लगा रहे हैं.

हाल ही में 15 जुलाई से 18 जुलाई तक इलाहाबाद में आयोजित प्रयाग संगीत समिति के मंच पर भारत के विभिन्न राज्यों के प्रतिभागी विभिन्न विद्या में अपने प्रस्तुति देने के लिए भाग लिये थे. युवा बाल कलाकारों ने भी तबला सोलो और अन्य विद्या में अपना प्रस्तुति दी. गया घराना के शाश्वत दूसरे स्थान पर रहे और बनारस घराने के रुद्र प्रथम स्थान पर तबला वादन में अपना पहचान बनाया. सभी प्रतियोगिता में अच्छा प्रदर्शन करने वाले को प्रतीक चिन्ह और प्रमाण पत्र देखकर सम्मानित किया गया.

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