गांव से शिवम ने दुनिया को दिया ज्ञान, अमेरिका ने किया सम्मान… न्यूयॉर्क के टाइम्स स्क्वायर पर दिखाई Video

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अर्पित बड़कुल/दमोह: कहते हैं ज्ञान का प्रकाश सात समुंदर पार भी जा सकता है और इस बात को दमोह के एक युवक ने साबित भी कर दिया. गांव में बैठे-बैठे यह युवक न्यूयार्क के टाइम्स स्क्वायर पर छा गया. दमोह के हटा ब्लॉक के मड़ियादो गांव के रहने वाले 26 वर्षीय शिवम छिरोलया के संघर्ष की कहानी इन दिनों सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर तेजी से वायरल हो रही है. शिवम ने अपनी कहानी लिंकडीन (LinkedIn) पर लिखी थी, जिसके बाद सिर्फ भारत में ही नहीं, विदेशों में भी इस युवक की चर्चा है. इनकी कहानी को कई जगह प्रेरणाश्रोत के रूप में प्रस्तुत किया जा रहा है.

एक छोटे से गांव का शिवम अपनी काबिलियत के दम पर अमेरिका के न्यूयॉर्क सिटी टाइम्स स्क्वायर में छाया हुआ है. वहां उसके संघर्षों की कहानी को वीडियो के माध्यम से प्रस्तुत किया जा रहा है, जिसे दुनिया देख रही है. शिवम ग्रामीण परिवेश में पले बढ़े और खुद की काबिलियत के दम पर आज विदेशों में चर्चा का विषय बने हुए हैं. शिवम की कड़ी मेहनत अब रंग ला रही है. बता दें कि शिवम एक गरीब परिवार से हैं. सरकारी स्कूलों से शिक्षा प्राप्त की है. जबलपुर से बीई किया. हाथों में कोई नौकरी नहीं थी, लेकिन पढ़ाई को जारी रखते हुए GATE उत्तीर्ण किया.

कोविड के दौरान दिया विदेशी बच्चों को ज्ञान
जब पूरा देश वर्ष 2020 में covid-19 से लड़ रहा था. पूरी दुनिया घरों में कैद थी. तब शिवम भी अंदर ही अंदर घुट रहा था. इतनी काबिलियत होने के बाद भी कोई नौकरी हाथ में नहीं थी. घर में मूक-बधिर पिता, जवान बहन और मां की चिंता उसे सता रही थी. तब शिवम को एक मौका मिला, USA समेत अन्य देशों के बच्चों को ट्यूशन देकर उनके Doubt clear करने का. फिर क्या था शिवम ने मजबूत इरादों के दम पर UAS की घड़ी के हिसाब से रात-रात भर जागकर विदेशी बच्चों को ट्यूशन देना शुरू कर दिया.

ट्यूशन देकर हासिल किया यह मुकाम
आर्थिक तंगी से गुजर रहे शिवम रात्रि 9 बजे से लेकर सुबह 9 बजे तक विदेशी बच्चों को ट्यूशन देते थे. एक Doubt Clear करने पर उसे 220 रुपये मिलते थे. ऐसे करते हुए करीब 2 से 3 महीने बीत गए. ऑनलाइन दी शिक्षा से मिले एक-एक रुपये को जोड़कर बहन की शादी कर दी. इधर GATE का रिजल्ट जारी हुआ, जिसमें शिवम के 99.6% अंक आए. शिवम बताते हैं, यह परिणाम चौका देने वाला था.

बेंगलुरू में पढ़ने का मिला मौका
शिवम बताते हैं कि रिजल्ट के बाद इंडिया का एकलौता संसथान आईआईएससी ब्रांच जो बेंगलुरू में है, वहां से शिक्षा पाने का मौका मिला. इसके बाद देश भर से रिलायंस फाउंडेशन द्वारा चुने जाने वाले 40 योग्यताधारी में चयन होने पर उसे शिक्षा के लिए छह लाख रुपये की स्कॉलरशिप भी मिली. यह उसकी सफलता की कहानी है. अब शिवम का चयन कंप्यूटर विजन रिसर्च पद पर हुआ है.

न्यूयॉर्क सिटी के टाइम्स स्क्वायर पर चर्चे
शिवम ने इंटरव्यू के दौरान बताया कि उनके पिता मनोज छिरोलया मूक-बधिर हैं. माता गृहणी और एक बहन जिसकी दो साल पहले शादी कर दी. घर की स्थिति ठीक नहीं थी, पिताजी पुराने कपड़े सिला करते थे. प्रारंभिक शिक्षा तो सरकारी स्कूलों में अर्जित कर ली, लेकिन आगे पढ़ने के लिए बहुत संघर्ष करना पड़ा. मेरी रातों की मेहनत अब रंग ला रही है. जीतोड़ मेहनत के चर्चे विदेशों में भी सुर्खियों में बने हैं. यही वजह है कि USA की न्यूयॉर्क सिटी के टाइम्स स्क्वायर में मेरे संघर्ष की कहानी को वीडियो के माध्यम से दिखाया गया, जिससे उनको काफी लोकप्रियता मिल रही है.

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