पारंपरिक खेती में भी है उन्नत खेती जितना मुनाफा…किसान बस इस तकनीक से करें किसानी-There is as much profit in traditional farming as in advanced farming…Farmers should just do farming with this technology

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सीकर. अभी किसानों के खेतों में मूंगफली सोयाबीन और बाजरा जैसी फैसले लहरा रही है. किसान इस बार बारिश अच्छी होने के कारण अच्छे उत्पादन की आस में हैं. उन्नत किसानों के अनुसार पारंपरिक खेती करने वाले किसानों को अच्छे उत्पादन के लिए इस मौसम में कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए ताकि उनकी फसल किसी बीमारी का शिकार ना हो जाए.

उन्नत किसान हनुमान सिंह ने बताया कि वर्षा के पूर्वानुमान को ध्यान में रखते हुए अभी किसानों को खेतों में किसी भी प्रकार का छिड़काव न करें. वहीं कुछ समय के लिए खड़ी फसलों व सब्जी नर्सरियों में उचित प्रबंधन रखें. सबसे मुख्य ध्यान रखने वाली बात यह है कि दलहनी फसलों तथा सब्जी नर्सरियों में जल निकास की उचित व्यवस्था करें. खरीफ की सभी फसलों में आवश्यकता के अनुसार निराई-गुड़ाई कर खरपतवारों का नियंत्रण करें.

खरपतवार नियंत्रण इस तरह करें
मूंगफली में विवजालोफॉप इथाइल (टरगा-सुपर) प्रति एकड़ मात्रा सक्रिय तत्व 16-20 (ग्राम) संरचना 320-400 (मि.ली. ग्रा.) बोने के 15-20 दिन बाद खेत में डालें. इससे संकरी पत्ती वाले (सांवा, मूज घास, कांस, दूब) खरपतवारों पर नियंत्रण होता है. मूंगफली में काली जड़ रोग के नियंत्रण के लिए टेबुकोनोजोल 25 ई.सी. 1.5 लीटर प्रति हेटेयर की दर से छिड़काव करें.

खड़ी खरीफ फसल में सफेद लट के नियंत्रण के लिए क्विनालफॉस 25 ई सी 4 लीटर प्रति हेक्टेयर की दर से प्रयोग करें और हल्की सिंचाई करें.सोयाबीन में इमाझेथापर (परस्युट, लगाम) प्रति एकड़ मात्रा सक्रिय तत्व 30 (ग्राम) संरचना 300 (मि.ली. ग्रा.) बोने के 15-20 दिन बाद खेत में डालें. इससे संकरी पत्ती वाले सांवा एवं चौड़ी पत्ती वाले गोखरू, लुनक छोटी एवं बड़ी दुधी, गाजरघास, चौलाई, जंगली जूट, लेसवा, कौआकेनी आदि खरपतवारों पर नियंत्रण होता है.

मक्का में 2,4-डी. (ग्रीन वीड, वीडमार, नौकवीड) ताफासिड, अरबी ओक्स कोम्बी, रगरडन-48 बोने के 25-30 दिन बाद डालें. इससे चौड़ी पत्ती वाले जैसे मौथा, जल कुम्भी, आलुबन, तिपतिया, पीले फूल वाली बूटी, भंगरा, कौआकैनी, बिलोंदा, चार पत्ती, नरजवां, रक्सी, बनमिर्ची, गोखरु, लौंग घास आदि खरपतवारों से निजात मिलेगी. दवा डालने से पहले खेत जमा बारिश का पानी निकाल लें.

बाजरे और सब्जियों की अच्छी पैदावार के लिए ये करें
जून में बाजरे की फसल बोई है तो बुवाई के 25 से 30 दिन बाद 20 किलोग्राम नाइट्रोजन प्रति हेटेयर की दर से दें. इसके अलावा लौकी की उन्नत किस्म पूसा नवीन, पूसा समृद्धि, करेला की पूसा विशेष, पूसा दो मौसमी, सीताफल की पूसा विश्वास, पूसा विकास, तुरई की पूसा स्नेहा की बुवाई मेड़ों पर कर मचान पर चढ़ाएं. इस मौसम में भिंडी, मिर्च व बेलवाली फसल में माईट, जैसिड और होपर की निरंतर निगरानी करते रहें. कीट अधिक पाएं तो इमिडाक्लोप्रिड़ 17.8 एससी / 0.5 मिली/लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव आसमान साफ होने पर करें.

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