Exclusive Sympathy For Sharad Pawar Uddhav Thackeray In Maharashtra Chhagan Bhujbal – Exclusive: महाराष्ट्र में शरद पवार, उद्धव ठाकरे के लिए सहानुभूति, NDA की राह आसान नहीं – छगन भुजबल



cs97ro28 chhagan bhujbal Exclusive Sympathy For Sharad Pawar Uddhav Thackeray In Maharashtra Chhagan Bhujbal - Exclusive: महाराष्ट्र में शरद पवार, उद्धव ठाकरे के लिए सहानुभूति, NDA की राह आसान नहीं - छगन भुजबल

महाराष्ट्र की पहले से ही दिलचस्प रही राजनीति 2022 में और अधिक उलझ गई. एकनाथ शिंदे और विधायकों के एक समूह ने शिवसेना में विद्रोह कर दिया, जिसके कारण उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली महा विकास अघाड़ी सरकार गिर गई. शिंदे ने फिर भाजपा के साथ गठबंधन किया और मुख्यमंत्री पद की शपथ ली, इससे उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना दो भागों में बंट गई.

एक साल बाद, शरद पवार के नेतृत्व वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी में भी ऐसी ही पटकथा लिखी गई, जब उनके भतीजे अजित पवार ने पार्टी को विभाजित कर दिया और भाजपा के साथ हाथ मिला लिया, फिर वो राज्य के उपमुख्यमंत्री बन गए. अब महाराष्ट्र की राजनीतिक में दो शिवसेना और दो एनसीपी एक-दूसरे के खिलाफ खड़े हैं.

छगन भुजबल, अजित पवार के साथ राकांपा में विद्रोह में सबसे आगे थे. जब उनसे मौजूदा लोकसभा चुनावों में टूट के प्रभावों के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने कहा, “जिस तरह से उद्धव ठाकरे की शिवसेना विभाजित हो गई और एनसीपी के एक गुट ने पाला बदल लिया. मेरा मानना ​​​​है कि एक सहानुभूति लहर है, और ऐसा उनकी रैलियों में दिख रहा है.”

2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में, भाजपा ने अविभाजित शिवसेना के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ा था और दोनों ने क्रमशः 23 और 18 निर्वाचन क्षेत्रों में जीत हासिल की थी.

भुजबल ने कहा, “हालांकि, लोगों का विश्वास अभी भी नरेंद्र मोदी में है और वे चाहते हैं कि वो एक मजबूत सरकार बनाएं.”

महाराष्ट्र सरकार में मंत्री भुजबल उस समय थोड़े भावुक हो गए, जब उनसे शरद पवार के गढ़ बारामती में उनकी बेटी सुप्रिया सुले और अजित पवार की पत्नी सुनेत्रा के बीच मुकाबले के बारे में पूछा गया.

उन्होंने कहा, “यहां तक ​​कि मेरे लिए भी ये दुखद है कि जो लोग इतने सालों तक एक ही घर में एक साथ रहते थे. जो हो रहा है वो कुछ ऐसा है जो कई लोगों को पसंद नहीं आ रहा है. गलती किसकी है, ये अलग बात है, लेकिन अगर ऐसा नहीं होता तो बहुत अच्छा होता.”

एनडीए को नुकसान पहुंचा रहा नारा?

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा है कि एनडीए 400 सीटें मांग रहा है, क्योंकि वो संविधान में संशोधन करना चाहता है. विपक्ष के इस आरोप से क्या एनडीए गठबंधन को नुकसान पहुंचाया है? भुजबल ने कहा, “इस पर विपक्ष हमलावर रहा है. लोगों को लगता है कि ये नारा संविधान बदलने के बारे में है और कर्नाटक में एक भाजपा सांसद (अनंतकुमार हेगड़े) ने भी यह बात कही थी.”

उन्होंने कहा, “हालांकि, पीएम मोदी कई बार ये कह चुके हैं कि संविधान मजबूत है और इसे खुद बीआर अंबेडकर भी नहीं बदल सकते, लेकिन लोगों को ये संदेश दिया जा रहा है. इसका असर तभी दिखेगा, जब मतपेटियां खुलेंगी.”

नासिक सबसे विवादास्पद निर्वाचन क्षेत्रों में से एक रहा है. भाजपा, एकनाथ शिंदे की शिवसेना और अजित पवार की राकांपा सीट बंटवारे की कोशिश कर रही है. छगन भुजबल शुक्रवार को टिकट की दौड़ से बाहर हो गए. यहां उम्मीदवार की घोषणा होनी अभी बाकी है, सहयोगियों के बीच खींचतान चल रही है, भाजपा नेता पंकजा मुंडे और मुख्यमंत्री शिंदे द्वारा एक-दूसरे पर बयानबाजी की जा रही है.

भुजबल ने कहा कि उन्होंने टिकट नहीं मांगा था, लेकिन होली के दौरान राकांपा के अन्य नेताओं ने उन्हें बताया था कि वो नासिक से चुनाव लड़ेंगे. उन्होंने कहा, ये बात उन्हें दिल्ली में सहयोगियों के बीच देर रात हुई बैठक के बाद बताई गई, जहां प्रत्येक पार्टी के लिए ब्लॉक के बजाय एक-एक करके सीटों पर चर्चा की जा रही थी.

मंत्री ने कहा कि शिंदे भी शिवसेना के लिए सीट चाहते थे और वो चुनाव लड़ने के लिए सहमत हुए, क्योंकि नासिक उनका आधार है और वो तथा उनका बेटा वहां से विधायक रहे हैं. उनके भतीजे समीर भुजबल भी इस सीट से सांसद थे.

भुजबल ने कहा कि उनके द्वारा किए गए विकास कार्यों के कारण उन्हें लोगों से बहुत समर्थन भी मिला, वो आश्चर्यचकित भी थे, क्योंकि तीन सप्ताह तक सीट से उनका नाम घोषित नहीं किया गया था.

मुझे टिकट मांगना पसंद नहीं- छगन भुजबल

उन्होंने कहा, “जब नारायण राणे का नाम भी घोषित किया गया (रत्नागिरी-सिंधुदुर्ग के लिए) और मेरा नहीं, तो मुझे लगा कि वे ऐसा नहीं करना चाहते हैं. तब मैंने कहा कि मैं सीट से नहीं लड़ना चाहता. अगर मुझे लड़ना है तो मैं सम्मान के साथ चुनाव लड़ना चाहता हूं. मैं अपनी हैसियत जानता हूं. मुझे टिकट मांगना पसंद नहीं है. मैंने अपने जीवन में मात्र एक बार 1970 में मुंबई नगर निगम के लिए टिकट मांगा था.”

भुजबल ने कहा, “मैं टिकट वितरण में भी शामिल रहा. इसलिए मैंने सोचा कि इतने लंबे समय तक इंतजार करना मेरे लिए ठीक नहीं है. मुझे बुरा लगा और मैंने चुनाव नहीं लड़ने का फैसला किया.”



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