मायावती जेल जाने से डरती हैं सही है, मायावती का डर जायज भी है…
मायावती जेल जाने से डरती हैं सही है, मायावती का डर जायज भी है, वो लालू या लोया नहीं बनना चाहतीं! वो लड़ना चाहती हैं मगर एक सुरक्षित सतह से जहां उनपर कोई आंच ना आए। बाबासाहेब भी यही कहते थे कि उनको उन्हीं के समाज और पढ़े-लिखे वोटरों ने धोखा दिया जिसके लिए वह लड़ रहे थे लेकिन वही समाज उनको संविधान सभा तक नहीं जाने दिया और मजबूरन उनको बंगाल का रुख करना पड़ा। काशीराम जी का भी यही मानना था इसीलिए वो अपने जीवन में कभी पंजाब या हरियाणा में दलित नेतृत्व नहीं पा सके।

फूले ने भी गुलामगिरी पुस्तक इसीलिए लिखी थी ताकि इन गुलामों से सावधान हुआ जा सके। यह लड़ाई गैरों से कम अपनों से ज्यादा है। जो भीड़ अंबेडकर के साथ उनके मरने के बाद इकट्ठी हुई थी वो भीड़ मरने से पहले अगर इकट्ठी हो जाती तो बाबासाहेब कबका एक बेहतर भारत बना चुके होते और वो भारत वाकई महान और विकसित देशों की कतार में पहले स्थान पर खड़ा होता।, वो लालू या लोया नहीं बनना चाहतीं! वो लड़ना चाहती हैं मगर एक सुरक्षित सतह से जहां उनपर कोई आंच ना आए। बाबासाहेब भी यही कहते थे कि उनको उन्हीं के समाज और पढ़े-लिखे वोटरों ने धोखा दिया जिसके लिए वह लड़ रहे थे लेकिन वही समाज उनको संविधान सभा तक नहीं जाने दिया और मजबूरन उनको बंगाल का रुख करना पड़ा। काशीराम जी का भी यही मानना था इसीलिए वो अपने जीवन में कभी पंजाब या हरियाणा में दलित नेतृत्व नहीं पा सके। फूले ने भी गुलामगिरी पुस्तक इसीलिए लिखी थी ताकि इन गुलामों से सावधान हुआ जा सके। यह लड़ाई गैरों से कम अपनों से ज्यादा है। जो भीड़ अंबेडकर के साथ उनके मरने के बाद इकट्ठी हुई थी वो भीड़ मरने से पहले अगर इकट्ठी हो जाती तो बाबासाहेब कबका एक बेहतर भारत बना चुके होते और वो भारत वाकई महान और विकसित देशों की कतार में पहले स्थान पर खड़ा होता।
शैलेंद्र सिंह यादव