मॉनसून डिहाइड्रेशन- ये हेल्थ रिमाइंडर्स आपको मॉनसून में भी रखेंगे हाइड्रेटेड

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मॉनसून में डिहाइड्रेशन को नज़रअंदाज़ करना आसान है- दिन ठंडे होते हैं, हमेशा हवा बहती है और हर ठंडी बौछार के साथ सौंधी महक हवा में बिखर जाती है. गर्मियों के पसीने, उमस और प्यास वाले मौसम की बजाय इन दिनों हम कुदरती रूप से आरामदायक और सहज महसूस करते हैं.

लेकिन मॉनसून डिहाइड्रेशन से जुड़ी अपनी चुनौतियां लेकर आता है- हम कब प्यासे और डिहाइड्रेटेड हैं ये पहचान पाना मुश्किल हो जाता है! यकीनन, दिन में किसी समय हमें प्यास महूसस होती है और हम पानी पीने जाते हैं. मगर बच्चों और कमज़ोर बुज़ुर्गों के मामले में ऐसा नहीं कहा जा सकता- दोनों ही समूहों के लिए डिहाइड्रेशन के लक्षणों को पहचान पाना और बता पाना बहुत मुश्किल होता है. इसके अलावा डिहाइड्रेसन के लक्षण बहुत आम है, इसलिए आसानी से पता नहीं चल पाता. ऐसे में संभव है कि बच्चे और बुज़ुर्ग काफी समय से डिहाइड्रेटेड हों, जब तक की कोई इसे पहचान न पाए.

डिहाइड्रेशन को पहचानना
हल्के डिहाइड्रेशन में (शरीर के वजन में 1-3% की कमी) में हमें हल्की प्यास लगती है और मुंह सूखने लगता है, अधिकांश समय हम सब इसे पहचान नहीं पातें. यदि हम पानी नहीं पीते हैं तो (शरीर के वजन में 4-6 % की कमी) हम थका हुआ महसूस करते हैं और चक्कर आने लगता है, होंठ सूखने लगते हैं. इस समय पेशाब करने पर उसका रंग पीला रहता है. गंभीर रूप से डिहाइड्रेटेड (>6% शरीर का वजन कम हो जाता है) होने पर हमें तेज़ प्यास लगती है, तेज़ सिरदर्द, दिल की धड़कन तेज़ हो जाती है और थकान का अनुभव होता है. इस समय पेशाब भूरे रंग का होता है. जब हमारे शरीर का वज़न 10% कम हो जाता है, तो हम बेहोश हो जाते हैं और डिहाइड्रेशन से मृत्यु का खतरा बढ़ जाता है.

हम में से अधिकांश लोग रोज़मर्रा के आधार पर 6% के स्टेज को पार नहीं कर पाते, क्योंकि हमारी प्यास हमें पानी पीने पर मजबूर कर देती है. लेकिन शिशुओं, छोटे बच्चों और कमजोर बुजुर्गों के मामले में खास लक्षणों पर नज़र रखने की ज़रूरत है.

उदाहरण के लिए शिशुओं के पास कोई तरीका नहीं होता ये बताने का कि वो डिहाइड्रेटेड हैं. पहला विश्वसनीय संकेत है डायपर का सूखा रहना. अगर कोई शिशु 6 घंटे से अधिक समय तक डायपर गीला नहीं करता है, अगर उसका मुंह सूखा लगता है, और यदि आंखों और खोपड़ी पर नरम धब्बे थोड़े धंसे हुए दिखाई देते हैं, तो आपको तुरंत उन्हें तरल पदार्थ देना चाहिए. छोटे बच्चों में डिहाइड्रेशन थकान और चिड़चिड़ापन के रूप में नज़र आता है, साथ ही रोने पर आंसू नहीं निकलते. वो सुस्त दिखाई देते हैं और उनकी आंखें, गाल और मुलायम धब्बे धंसे हुए महसूस होते हैं.

परिवार के बुज़ुर्गों में समस्या थोड़ी अलग नज़र आती है. जैसे-जैसे हमारी उम्र बढ़ती है, हमारे शरीर की तरल पदार्थों को एकत्र करने की क्षमता कम हो जाती है. इसके अतिरिक्त जो बुज़ुर्ग लंबे समय से किसी बीमारी से पीड़ित हैं वो अक्सर ऐसी दवाएं लेते हैं जो मूत्रवर्धक (अधिक पेशाब होना) हो सकती हैं. अक्सर, बीमारी ही डिहाइड्रेशन के कई लक्षणों का कारण बन जाती है, ऐसे में यह पता लगाना मुश्किल हो जाता है कि कोई वास्तव में डिहाइड्रेटड है या नहीं. कभी-कभी ये सुनिश्चित करने के लिए कि बुज़ुर्ग पर्याप्त पानी पी रहे हैं या नहीं बस एक ही विश्वसनीय तरीका है, वो है उनके पानी के सेवन पर नज़र रखना.

मॉनसून में होने वाली खास बीमारियां
ये मॉनसून है. चलिए इसका सामना करते हैं, कभी न कभी हम स्ट्रीट फूड और समोसा, पकोड़े और इडली के साथ मिलने वाली चटपटी चटनी की चाहत को पूरा कर ही लेते हैं. हर साल स्ट्रीट फूड के प्रति अपनी इस चाहत के कारण हम भारी मुश्किल में फंस जाते हैं.

गंभीर, तीव्र डायरिया जो अचानक से बहुत ज़्यादा हो जाता है. इसके कारण थोड़ी ही समय में शरीर में पानी और इलेक्ट्रोलाइट्स की भारी कमी हो जाती है. यदि किसी को दस्त के साथ उल्टी हो रही है, तो शरीर से अधिक तरल पदार्थ और मिनरल्स निकल जाते हैं.

तेज़ बुखार डिहाइड्रेशन का एक और आम कारण है और यह मॉनसून के दौरान संक्रमण के बढ़ते मामलों के कारण और आम हो जाता है. यदि बदकिस्मती से आपको बुखार, दस्त और उल्टी एक साथ हो रही है, तो आपको वास्तव में पानी और ज़रूर मिनरल्स जिसे इलेक्ट्रोलाइट्स भी कहा जाता है, के सेवन पर खास ध्यान देने की ज़रूरत है.

इलेक्ट्रोलाइट्स ज़रूरी मिनरल्स हैं जैसे- सोडियम, कैल्शियम और पोटैशियम, जो हमारे शरीर को रासायनिक प्रतिक्रियाओं को विनियमित करते हैं, हमारी कोशिकाओं के अंदर और बाहर तरल पदार्थों के बीच संतुलन बनाए रखने के साथ ही और भी बहुत कुछ करने में मदद करते हैं. सामान्य दिनों में पसीने और पेशाब के ज़रिए इलेक्ट्रोलाइट्स हमारे शरीर से निकल जाता है, लेकिन इस हम डायट के ज़रिए फिर से बैलेंस कर देते हैं. हालांकि, जब डिहाइड्रेशन पहले ही शुरू हो जाए तो इन तरल पदार्थों और इलेक्ट्रोलाइट्स को तुरंत रिप्लेस करने की ज़रूरत होती है.

रिहाइड्रेशन का सबसे बहेतरीन, विश्वसनीय और प्रमाणित तरीका है ओरल रिहाइड्रेशन सॉल्यूशन (ORS). 1960 में इसके अविष्कार के बाद से ORS डिहाइड्रेशन जैसी स्थितियों में विश्वसनीय रूप से जीवन रक्षक के रूप में काम किया है. WHO ने सालों तक विभन्न अध्ययनों के ज़रिए रिहाइड्रेशन के फॉर्मूले को और परिष्कृत किया है और शरीर को डिहाइड्रेशन से उबरने के लिए ज़रूरी लवण, खनिज और इलेक्ट्रोलाइट्स का सही अनुपात तय किया.

भारत में, ये फॉर्मूलेशन 1972 से इलेक्टॉल के रूप में उपलब्ध है, जो हम सभी के परिवार में फर्स्ट एड किट में होता है. इलेक्ट्रॉल भारत में ORS का पर्याय है. इलेक्ट्रॉल हमार परिवारों को हाइड्रेटेड और सुरक्षित रखने में हर किसी के लिए एक बैक पॉकेट उपाय रहा है, खासतौर पर डॉक्टर का इंतज़ार करते समय.

हेल्थ के लिए हाइड्रेशन- आपको सही जानकारी देना
डिहाइड्रेशन के बारे में जागरूकता की कमी को दूर करने के लिए, इलेक्ट्रॉल और न्यूज18 नेटवर्क ने 2022 में हेल्थ के लिए हाइड्रेशन नामक पहल शुरू की. यह डिहाइड्रेशन से निपटने के लिए जानकारी और संसाधनों के स्रोत के रूप में काम करता है. सीज़न 2, विशेष रूप से, बच्चों पर केंद्रित है, जो माता-पिता को उनकी भलाई के लिए एक ज़रूरी टूलकिट मुहैया कराता है इलेक्ट्रॉल, भारत में ORS का पर्याय, जो अपनी विरासत को आगे बढ़ाते हुए एक शिक्षक और स्वास्थ्य के अग्रदूत होने के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को मजबूत करता है.

अच्छी हेल्थ के लिए हाइड्रेशन का ध्यान रखें और खुद को शिक्षित करें ताकि आपके परिवार के लिए डिहाइड्रेशन कोई मुद्दा ही न बन सके. दोतरफा रणनीति बनाने के लिए आपने जो कुछ सीखा है उसका उपयोग करें- एक तरफ रोकथाम, जहां आप हर किसी के पानी पीने की मात्रा निर्धारित कर सकते हैं और बच्चों व और बुजुर्गों के लक्षणों पर नज़र रख सकते हैं. दूसरी ओर सावधानी, जहां आपके परिवार के फर्स्ट एड किट में पहले से ही फर्स्ट लाइन ऑफ डिफेंस है यानी इलेक्ट्रॉल!

-पार्टनर पोस्ट.

Tags: Dehydration, Health, Hydrationforhealth

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